PM’s address at the CPSE Conclave 2018 at Vigyan Bhawan


PM’s address at the CPSE Conclave 2018 at Vigyan Bhawan

Heavy Industries और Public Enterprise के मेरे साथी मंत्री श्रीमान आनंद कीर्ति जी, राज्‍यमंत्री श्रीमान बाबुल सुप्रीयो जी, मेरे सहयोगी श्रीमान पी.के. मिश्रा जी, श्री पी. के. सिन्हा जी, देश भर से आए Central Public Sector Enterprise के वरिष्‍ठ अधिकारीगण, यहां उपस्थिति अन्‍य महानुभव, देवियों और सज्‍जनों।

हमारे अनंत गीते जी गाते नहीं है और बाबुल जी गाते हैं। Public Sector ये हमारी जो छोटी सी दुनिया है इसमें एक नई शुरुआत है। और मैं आप सभी का CPSE Conclave में स्‍वागत करता हूं। आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

पिछले एक-डेढ़ घंटे में जो Presentation यहां दिए गए उसमें आपका परिश्रम, आपका उत्‍साह और by and large मैं ये कह सकता हूं clarity of thoughts, ये मैं साफ-साफ देख रहा था। Corporate Governance से लेकर innovations, technology और New India पर आपका vision, आपके विचार भी जानने का अवसर मुझे मिला। शायद ऐसा सौभाग्‍य पहले किसी प्रधानमंत्री को मिला है या नहीं ये मुझे मालूम नहीं, मुझे मिला।

Presentation से जो टीम में जुड़ी, इसके साथ जुड़ी रहीं जिन्‍होंने चर्चाए की, उन सबको भी मैं बधाई देता हूं ताकि उन्‍होंने काफी मंथन किया होगा और काफी References भी इकट्ठे किए होंगे। और अपने रोजमर्रा के कार्य से थोड़ा बाहर निकल कर भी उनको सोचने का अवसर मिला होगा।

अब मुझे बताया गया है कि बीते महीनों में आप सभी में एक मंथन का लंबा दौर चला है। अपने-अपने संबंधित सेक्‍टरों में कैसे-कैसे transformative change लाना है। इस बारे में आपने गहरा विचार-विमर्श किया है और आपकी जानकारी के लिए आप वहां कुछ कर रहे तो आप के विषय पर मैं भी करता रहता था आपके अफसरों को बुला-बुला के, क्‍योंकि मैं चाहता था कि मेरी भी विचार प्रक्रिया का तालमेल आपके साथ जुड़ना चाहिए। तो एक प्रकार से हर किसी ने अपने-अपने स्‍थान पर एक मंथन प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।

और मेरे ध्‍यान में ऐसी तमाम मुश्किलों को लाया गया है। जैसे सामान्‍य तौर पर आप लोग रोजमर्रा की जिंदगी में face करते हैं। सरकार इन दिक्‍कतों को दूर करने के लिए लगातार काम भी कर रही है। बीते चार सालों में सरकार ने भी Public Sector से जुड़े संस्‍थानों को Operational Freedom दे दी है ताकि वो बेहतर प्रदर्शन कर सके।

साथियों, स्‍वतंत्रता के बाद से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने राष्‍ट्र निर्माण में देश की अर्थव्‍यवस्‍था में बहुत महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है।

जब भारत को fund की जरूरत थी, नई technology चाहिए थी, अलग-अलग सेक्‍टर में investment चाहिए था, और ये सभी कुछ मिलना आसान नहीं था। उस समय Public Sector Enterprise ने देश से जुड़ी आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए  मोर्चा संभाला था। एक से एक brand स्‍थापित किए थे। Power का production, power से जुड़े equipment की designing, steel का production, oil, mineral, coal  अनेक सेंटरों में आपने अपना वर्चस्‍व स्‍थापित किया। आपने उस समय भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को गति दी जब प्राइवेट सेक्‍टर की भूमिका इतनी महत्‍वपूर्ण नहीं थी। आज भी आपके संस्‍थान भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को न सिर्फ मजबूती दे रहे हैं बल्कि industrial activities में catalyst का भी काम कर रहे हैं।

साथियों, प्राइवेट सेक्‍टर में जब हम एक CEO की बात करते हैं तो उसका assessment इस बात से होता है कि शेयर होल्‍डर्स के लिए उसने कितना profit कमाया। Profit Public Sector Enterprise के लिए भी अहम है। लेकिन इसके साथ-साथ उनके लिए ये भी एक बहुत बड़ी जिम्‍मेवारी होती है, उनको ध्‍यान रखना पड़ता है कि समाज जीवन के लिए society का कैसे और कितना भला हुआ।

हम सिर्फ सौर तक सीमित नहीं रह सकते। हमें पूरे समाज के दायरे को देखना पड़ता है। एक प्रकार से PSE का सही मायनों में अर्थ होता है Profit and social Benefit Generating Enterprises। यानी न सिर्फ शेयर होल्‍डर्स के लिए profit लेकिन society के लिए benefit भी generate करे।

जब हम social benefit की बात करते हैं, तब आप सभी अधिकारियों और पूरे PSE stafff के प्रयास और त्‍याग को कैसे भूल सकते हैं। दूर-सदूर मुश्किल जगहों पर जहां सुविधाओं का अभाव है और कई बार कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है, कई दिक्‍कतें हैं, लेकिन आप सब डटे हुए हैं। देश के लिए हर मुश्किल को, हर परेशानी को आप भी सह रहे हैं।

आप के ही साहस का नतीजा है कि सरकार बड़े-बड़े फैसले लेने में आज सक्षम है और निर्णय कर रही है। फिर वो चाहे देश के हर गांव में बिजली पहुंचाने की बात हो या‍ फिर देश की हर गरीब माता-बहनें की रसोई तक LPG Connection की बात, आपके संस्‍थानों से जुड़े लाखों कर्मचारियों के अथक परिश्रम के बिना ये संभव नहीं था। और हमनें इस फिल्‍म में भी देखा, आपकी presentation में भी देखा, इसमें कितना बड़ा दायरा और कितने समय-सीमा में इसको कवर किया है।

साथियों, सिर्फ इतिहास अच्‍छा हो, समृद्ध हो, आज के युग में बात वहां समाप्‍त नहीं होती है। इससे काम नहीं चलता है। वर्तमान की चुनौतियों के मुताबिक बदलाव की भी जरूरत अनिवार्य होती है। और मैं मानता हूं कि economic decision making में idealism और ideology ये काफी नहीं है। इसकी जगह pragmatism and practicability उसको भी स्‍थान होना चाहिए। सेक्‍टर चाहे कोई भी हो लेकिन जब 21वीं सदी की अर्थव्‍यवस्‍था की बात करते हैं तब enterprise and ennovation वो मंत्र होना चाहिए, जो हम सभी को guide करे, हमारा driving force हो।

Private Sector हो या Public Sector, success के लिए अलग-अलग मंत्र नहीं होते। सफलता के मंत्र की जब मैं बात करता हूं तब 3 I की एक सोच सामने आती है। और ये 3 I या‍नी Incentives, Imagination and Institutional building. Incentives जब हम कहते हैं तब Economist बताते हैं कि human behavior में बदलाव लाने वाला सबसे बड़ा tool है। बिजनेस में ही क्यों, जिंदगी में भी अक्सर हम देखते हैं कि जब भी किसी व्यक्ति से उसकी क्षमता के मुताबिक हमें काम करवाना होता है तो उसे हम निरंतर प्रोत्साहित करते हैं। ऐसे में आपको भी Unique Incentive Models के साथ सामने आना होगा, ताकि ठहराव और निष्क्रियता की स्थिति से बचा जा सके। लेकिन जब हम Incentives की बात करते हैं तो ये सिर्फ Financial हों ये जरूरी नहीं है। कई बार बेहतर Perform करने वाले की फोटो बुलेटिन बोर्ड में लगाने भर से या फिर चेयरमैन की तरफ से पीठ पर जरा थपकी लगा दें, छोटी बात होती है। सैकड़ों कर्मचारियों को Motivate कर सकती हैं।

मुझे बराबर याद है मैं बड़ोदा में एक Pharmaceutical कंपनी में गया। वो कोई product बताते हैं तो उसका बड़ा वर्णन वो पब्लिक करते थे अपने कर्मचारियों के बीच में अब उनको कहते थे कि इस दवाई का नाम आप तय करो। और बड़ी competition  होती थी उनके अंदर। हो सकता है कि वो scientist नहीं था, छोटा सा मुलाजिम था  लेकिन वो दवाई का नाम शब्‍द ढूंढता था, जिस काम के लिए, और फिर उसको इनाम देते थे, बड़ा function होता था। जितनी value उन scientists की थी उतना ही सबने मिलकर के जो नाम चुना है, उसकी भी रहती थी। यानी कैसे Incentive  दिया जाता है।  किस प्रकार से उसको पुरस्‍कृत किया जाता है। ये मैं समझता हूं कि परिवार वाले जो यहां आए हैं उनको भी पता है इन चीजों का परिवार में भी कितना उपयोग होता है। इस परिवार भाव से हम इसको कैसे आगे बढ़ाएं ।

दूसरा विषय मैंने कहा Imagination। अगर Imagination की बात करते हैं तो आज इसके मायने वैसे नहीं रहे जैसे उस वक्त थे ज्यादातर PSEs बनाए गए थे। आज इसका अलग ही स्वरूप है। आज स्थिति ये है कि कई कामयाब प्राइवेट कंपनियां दो दशक से ज्यादा नहीं टिक पातीं। ये सच्‍चाई है। इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण है भविष्य में आने वाले बदलाव, विशेषरूप टेक्नोलॉजी में होने वाले changes के हिसाब से खुद को ना ढाल पाना। यहीं पर Leadership की Imagination काम आती है। मैं अहमदाबाद में काफी साल रहा, एक जमाना था वहां मिल के बड़े-बड़े चिमनियां, वो शान हुआ करती थी। लेकिन Technology को न लाने के कारण वो सारी दुनिया बिखर गई। आज एक भी चिमनी से धुंआ नहीं निकलता। क्‍यों? Imagination का अभाव था। बनी-बनी चीजों पर गुजारा करने की आदत हो गई थी। और जो समयानुकूल बदलाव नहीं लाते, परिवर्तन नहीं लाते, दूर का देख नहीं पाते, सोच नहीं पाते, निर्णय नहीं कर पाते वो वहीं का वहीं ठहर जाते हैं। और धीरे-धीरे उनका नष्‍ट होना निर्धारित हो जाता है। और आज की दुनिया में Diversification and Disruption, इसकी अहमियत बढ़ गई है।

और तीसरा I यानी Institution building, ये संभवत: Leadership का सबसे अहम Test है। और मैं Leadership यानि Political Leadership नहीं कह रहा हूं। हम सब लोग यहां बैठे हैं वो अपने-आप में, अपने कार्यक्षेत्र की Leadership उनके पास है। जिस क्षेत्र में काम कर रहें हैं उस पूरे जगत के क्षेत्र के अंदर भी उनको Leadership provide करनी है। एक ऐसी team  का formation जो व्यवस्था केंद्रित हो। व्यक्ति केंद्रित और व्यक्ति आधारित व्यवस्थाएं लंबे समय तक नहीं चल पातीं।

साथियों, आज तक हम PSEs को नवरत्‍न के रूप में Classify करते रहे हैं। लेकिन अब वक्त आ गया है जब हम इससे भी आगे की सोचें। क्या हम New India रत्‍न बनाने के बारे में नहीं सोच सकते? जो New India बनाने में मदद कर सके? क्या आप तकनीक और प्रक्रियाओं में बदलाव के जरिए New India रत्‍न बनने और बनाने के लिए तैयार हैं?

मैं समझता हूं कि New India के निर्माण में आपकी सहभागिता 5 P फॉर्मूले पर चलते हुए और ज्यादा हो सकती है। ये 5 P हैं- Performance, Process, Persona, Procurement और Prepare.

साथियों, आप सभी को अपने संस्थानों की Operational और Financial Performance का benchmark और ऊपर ले जाना होगा। अपने-अपने सेक्टरों में दुनिया में जो सबसे बेहतरीन है, उसके साथ compete करने के लिए खुद को तैयार करना होगा।

आज दुनिया भर में चर्चा है कि भारत कुछ ही वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर economy में बदल जाएगा। इसे प्राप्‍त करने के लिए GDP में जो growth चाहिए, वो हासिल करने में भारतीय Public Sector Enterprises की बहुत बड़ी भूमिका है।

साथियों, मुझे बताया गया है कि वर्ष 2017-18 में PSU’s की तरफ से GDP में Net value Addition की करीब 5 प्रतिशत का था। समय की मांग है कि इसे बढ़ाकर दोगुना किया जाए। आप सभी का collective effort इस दिशा में होना चाहिए कि PSUs डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स के बाद देश में Revenue generation का Third Arm बनें।

हमारे यहां कहा भी गया है- ‘उद्योगसम्पन्नं समुपैति लक्ष्मी:’ यानी उद्योग  संपन्न मानव के पास लक्ष्मी आती है।

राष्‍ट्र के हित के लिए भी जरूरी है कि उद्योग, हमारे PSUs संपन्न रहें, और वो राष्‍ट्र को संपन्‍न करे।

आज, अगर हम भारत सरकार के सारे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को एक entity के तौर पर देखें, तो Return on Equity लगभग 11 प्रतिशत होता है। ये प्राइवेट सेक्टर की तुलना में और एक अच्छे बिजनेस वेंचर के हिसाब से कम है, मेरे हिसाब से काफी कम है और इसलिए मैं चाहूंगा कि CPSE मैनेजमेंट इस ओर ध्यान दे और एक तय रणनीति के साथ इसे बढ़ाने का फैसला करें ।

इसी तरह दूसरे P यानी Process की बात करें तो Process ऐसे होने चाहिए, जिससे transparency बढ़े, accountability बढ़े और वो वैश्विक स्तर पर और बेहतर तरीके से deliver कर पाएं।

हमें खुद से ये सवाल भी पूछना होगा कि न्यू इंडिया में भारतीय PSUs किस तरह अगले 5 या 10 साल में Global Greatness को हासिल कर पाएंगे। कैसे उसमें ज्यादा से ज्यादा innovation हो, GDP को बढ़ाने के लिए कैसे वो खुद को redefine करें, प्रक्रियाओं और नीतियों में ऐसा कौन सा सुधार करें जिससे Tax Revenue तो बढ़े ही Employment Generation के भी नए अवसर बनें। इन सारी दिशाओं में, मैं समझता हूं सोचने की आवश्यकता है।

पब्लिक सेक्टर की कंपनियों का global scenario में competitive होना बहुत ही आवश्यक है। आप यूरोप के कई देशों में देखेंगे कि पब्लिक सेक्टर की कंपनियां पावर सेक्टर में, एटोमिक-सोलर सेक्टर में बहुत अच्छा काम कर रही हैं। उनके working model से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं।

साथियों, जिस प्रकार से बिजनेस environment में globally एक परिवर्तन आया है, उसको देखते हुए decision making में तेज़ी के साथ-साथ flexibility भी समय की मांग है। बीते कुछ समय में दुनिया में ऐसे कई उद्हारण सामने आए हैं जहां रिस्क ना लेने की सोच की वजह से सरकारी enterprises को नुकसान झेलना पड़ा है। ऐसे में जरूरत है कि हर स्तर पर decision making को streamline किया जाए। इसलिए तीसरा P यानी Persona और महत्वपूर्ण हो जाता है।

बेहतर Decision Making तभी काम आ सकती है अगर हमारे पास talent pool हो। हमें ध्यान में रखना होगा कि क्या सही talent को हम आगे ला पा रहे हैं, क्या हम bench strength बना पा रहे हैं।

Flexible decision making, अच्छा टैलेंट और टेक्नॉलॉजी- ये तीन बातें किसी संस्थान से जुड़ जाएं तो उसकी तरक्की को कोई नहीं रोक सकता। और मुझे बताया गया है कि टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र मेंInnovation को बढ़ावा देने के लिए आपने अभी जो presentation में बताया, Tech Up India मिशन को प्राथमिकता देने का भी फैसला लिया है। मैं इस पहल की प्रशंसा करता हूं और इसकी सफलता की कामना करता हूं।

एक और विषय बहुत-बहुत महत्वपूर्ण है- Procurement- साथियों, आपके संस्थानों में procurement की नीतियों में परिवर्तन देश के Micro, Small & Medium Enterprises- MSME सेक्टर को और मजबूत कर सकती है। मैं आपके सामने एक तथ्य रखना चाहता हूं। वर्ष 2016 में PSUs ने 1 लाख 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का procurement किया था। इसमें से लगभग 25 हजार करोड़ का सामान ही, सिर्फ और सिर्फ 25 हजार करोड़ का सामान ही MSME सेक्टर से लिया गया।

क्या आप सभी मिलकर कोई ऐसा मैकेनिज्म नहीं बना सकते, ऐसा कोई framework नहीं बना सकते, जिससे देश के लघु और छोटे उद्योगों से ज्यादा से ज्यादा सामान खरीदा जाए। विशेषकर देश के पिछड़े इलाकों में जो उद्योग हैं, उनकी hand holding आपके द्वारा की जा सकती है।

आपकी जानकारी में होगा और आपने एक presentation में उल्‍लेख भी किया कि भारत सरकार ने Government e Market –GeM नाम से एक पोर्टल बनाया। एक अच्‍छी व्यवस्था खड़ी हुई है। उसने MSME सेक्टर के लिए एक बहुत बड़ी नई ऊर्जा का काम किया है। बहुत कम समय में इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लगभग साढ़े 6 हजार करोड़ रुपए का कारोबार हो चुका है। आपके संस्थान भी इसका ज्यादा उपयोग करेंगे तो transparency भी आएगी और MSME सेक्टर को भी लाभ मिलेगा। जब आप ज्यादा से ज्यादा सामान अपने देश के छोटे उद्यमियों से खरीदेंगे तो दूर-दराज के इलाकों में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

इसके अलावा आपके संस्थानों द्वारा MSME’s को Fund Allocation और technical assistance जितना ज्यादा मिलेगा, उतना ही वो मजबूत होंगे। MSME सेक्टर की capacity building आपके लक्ष्यों में से एक होना चाहिए। और जो आज शायद आपके संकल्‍प में उसका उल्‍लेख भी किया है। आप अपने अनुभव छोटे उद्योगों को जितना पहुंचाएंगे, उतना ही देश को आत्मनिर्भर बनाने का काम और अधिक तेज गति से आगे बढ़ेगा।

मेरा एक आग्रह आपसे ये भी है कि आप इस बात का भी हमेशा ध्यान रखेंगें कि MSME’s को भुगतान में देरी न हो। Payment late होने पर छोटे उद्यमियों को जिस तरह की दिक्कतें आती हैं, उसकी जानकारी आप सभी को है।

देश के Manufacturing Sectors को Central Public Sector Enterprises से बड़ी ताकत मिल सकती है। Rural Housing, Renewable Energy, Solar, Textile, Pharma, Tourism ऐसे अनेक सेक्टरों का कायाकल्प करने में आपका सक्रिय योगदान हो सकता है।

मैं कभी-कभी आप लोगों से आग्रह करूंगा, आपकी general body meeting होती है क्‍या मिलकर के तय कर सकते हैं कि भारत के लिए जो महत्‍वपूर्ण tourist destination होंगे – नए, आगरा नहीं, जो known हैं नहीं, लेकिन हम साल में एक बड़ी मीटिंग हम ऐसे tourist destination वाले place पर करेंगे। उसकी हवा बनेगी, और लोग भी आएंगे, देखेंगे। Natural course में वो tourist destination develop होगा। अगर मान लीजिए देश में एक साल में 25 destination  तय किए, और आपकी तीन सौ कंपनियां हैं। अगर आप वहां अपनी general body meeting शुरू करेंगे तो हर स्‍थान पर, मैं समझता हूं हर महीने एक दो, एक दो मीटिंग होंगी ही होंगी। मुझे बताइए वहां की economy आगे बढ़ेगी कि नहीं बढ़ेगी? वहां Infrastructure आएगा कि नहीं आएगा? यानी आप तो अपनी मीटिंग करते ही हैं, मुंबई में करते होंगे, बंगलौर में करते होंगे, चैन्‍नई में करते होंगे, 5 स्‍टार होटल में करते होंगे ,लेकिन क्‍या कभी ऐसे destination में रह के कर सकते हैं। आप देखिए, आपका वो routine काम है लेकिन by product देश के tourism को बल मिल रहा है। यानी extra कुछ न करते हुए ये तब होगा कि देश का विजन और आपका विजन एक साथ चलता है, तब होगा। और इसलिए मैं आग्रह करूंगा‍ कि आप ऐसी कोई नई-नई चीजें जो राष्‍ट्र निर्माण की जो हमारी प्रक्रियाएं हैं और मैं मानता हूं कि भारत को tourism में बहुत बढ़ावा मिलना चाहिए। कम-से-कम पूंजी निवेश से सबसे ज्‍यादा रोजगार देने की संभावना वाला क्षेत्र है और दुनिया के पास जो नहीं है, वो देने की, दिखाने का सामर्थ्‍य इस धरती में है। लेकिन हमनें कभी उसको उस बात को पहुंचाया नहीं है। हम कैसे पहुंचाए।

साथियों, भविष्य के लिए हमारी तैयारी ही हमें पांचवे P की तरफ ले जाती है और वो पांचवां P है- Prepare. भारतीय PSUs को technological disruptions जैसे Artificial Intelligence, Quantum Computing, Electric Vehicles, Robotics को ध्यान में रखते हुए खुद को तैयार करना होगा।

एक अनुमान है कि 2020 तक Global Internet of Things मार्केट में भारत की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत तक होगी। ये लगभग 20 लाख करोड़ रुपए का बाजार है। अनुमान ये भी है कि Industrial Manufacturing में Internet of Things की हिस्सेदारी लगभग 60 प्रतिशत की होगी। क्या भारतीय PSUs इसे ध्यान में रखते हुए आगे की रणनीति बना रहे हैं? क्या आप Data Analysis कर रहे हैं?

साथियों, आपके इन प्रयासों में digitization, analytics, e-mobility और block-chain जैसी नई टेक्नॉलॉजी आपकी मदद करने वाली है। ये तकनीक नए बिजनेस में आपके लिए अवसर पैदा कर सकती है।

आज की तारीख में financial market में जो नए innovations हो रहे हैं, निवेश के लिए जो एक बड़ा कैपिटल पूल आज उपलब्ध है, इसका भी लाभ उठाया जा सकता है।

साथियों, जब आप देश की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के साथ ताल से ताल मिलाकर चलते हैं तो बेहतर परिणाम मिलना सुनिश्चित हैं और मुझे पूरा भरोसा है कि हमारे देश के PSUs में न्यू इंडिया का Change Agent बनने की पूरी क्षमता है।

आज यहां इस अवसर पर मैं आपके सामने 5 सवालों के तौर पर 5 Challenge रखना चाहता हूं। आपने यहां जो रखी हैं उससे बाहर कुछ नहीं कहूंगा। जो आपने कहा है उसी में से मैं अपने तरीके से पेश करना चाहूंगा। और मुझे विश्‍वास है कि आप इन चीजों को कर पाएंगे। ये 5 Challenge New India में आपके role को redefine करेंगे। मैं बहुत बारीकियों में नहीं जाऊंगा लेकिन इन सवालों के माध्यम से एक मोटा-मोटा खाका आपके सामने रख रहा हूं।

मेरा पहला सवाल : 2022, आजादी के 75 साल होंगे। 2022 तक भारतीय PSUs अपनी Geo-Strategic Reach ज्यादा से ज्यादा बढ़ा पाएंगे क्‍या? और बढ़ा पाएंगे तो कैसे बढ़ाएगें।

मेरा दूसरा सवाल: 2022 तक भारतीय PSUs देश का Import Bill कम करने में कैसे मदद करेंगे? आपको लगता होगा कि ये काम किसका है। मैं आपको उदाहरण देना चाहता हूं। मैं हरियाणा के किसान के यहां खेत में गया था। 30 साल पहले की बात करता हूं, 25 साल पहले की। छोटा सा उसका खेत था बड़ा आग्रह करता  था मुझे, आईए-आईए मैंने कुछ नया किया है। 30-35 साल की आयु थी लेकिन बड़ा जज्‍बा था। उसने तय किया कि दिल्‍ली के 5 स्‍टार होटल में जो विशिष्‍ट प्रकार की सब्जियां import होती हैं, छोटा corn होता है, छोटा टमाटर आता है। उसने तय किया कि मैं दिल्‍ली में ये agriculture sector का import बंद कराके रहूंगा। और उसने अपने छोटे से खेत में control environment में उन चीजों का उत्‍पादन किया और उसने दिल्‍ली के 5 स्‍टार होटलों को सप्‍लाई करना शुरू किया और खुशी की बात है कि तीन साल के भीतर-भीतर उसने उस import को बंद करवा दिया था। एक किसान का बेटा मन में ठान ले क्‍या कर सकता है इतने बड़े PSUs एक आत्‍मनिर्भर स्‍वाभिमानी अपने पैरों पर खड़ा हुआ हिन्‍दुस्‍तान देश को यहां तक पहुंचाने में आपका योगदान रहा है। अब वक्‍त है Global Economy में हमने अपने आपको ताकत बनाने के लिए इस एक पहलू पर बल देने की आवश्‍यकता है। और इसलिए मैं कहूंगा कि आपने अपने Presentation में इस बात का उल्‍लेख किया है। लेकिन मैं इसको बल देना चाहता हूं। कि हम ऐसी कौन सी चीजें लाएं, हम ऐसी कौन सीalternate technology दें, हम ऐसी कौन सी equipment दें कि जिसके कारण मेरे देश का import भी कम करने में मेरी सक्रिय भूमिका हो।

मेरा तीसरा सवाल: 2022 तक भारतीय PSUs कैसे आपस में, क्यूंकि ये बहुत बड़ी बात है, आपस में Innovation और Research का integration करेंगे? आज हम अपनी-अपनी जगह पर हैं, अलग-अलग काम कर रहे हैं। उसके कारण हमारा human resource भी waste जा रहा है। किसी ने एक काम किया है दूसरा वही काम zero से शुरू करता है। अगर ये हमारा co-ordination होगा तो आप कल्‍पना कर सकते हैं एक साथ कितना बड़ा jump लगा सकते हैं और इसलिए मैंने integration की बात कही है।

मेरा चौथा सवाल: New India के ड्रीम के अनुसार देश का जो फोकस है, देश को हम जिन समस्‍याओं से मुक्‍त करना चाहते हैं, क्‍या हमारा CSR Fund का utilisation उस आधार पर हो, उसका roadmap क्या होगा? और हम collectively इसको कैसे करें। जैसे आपने दो प्रयोग बताए कि टायलेट में हम जुड़ गए, हमने इतना बड़ा contribution कर दिया और एक बदलाव दिखा देश में। और इसलिए आवश्‍यक है कि हम एक चीज पकड़े और उसी को पार करने के लिए कर सकते हैं क्‍या?

और मेरा पाँचवाँ सवाल: 2022 तक भारतीय PSUs, देश को development के कौन से नए model देंगे? वो कौन-सा नया model हम दें पाएंगे। हम घिसी-पिटी व्‍यवस्‍था को चलाएगें कि कुछ नया लेकर कर आएंगे।

मैं ये Challenge सवालों के माध्यम से इसलिए रख रहा हूं क्योंकि निर्णय आपको करना है, नीति आपको बनानी है, रणनीति आपको तय करनी है और उस रणनीति को लागू भी आप ही को करना है। राष्ट्र निर्माण के बड़े लक्ष्य के साथ जब आप अपने-अपने संस्थानों की बोर्ड मीटिंग्स में इन सवालों पर मंथन करेंगे, तो नए रास्ते खुलेंगे, नई दिशा मिलेगी।

साथियों, New World Order में भारत की Geo-Strategic Reach बढ़ाने में आपका योगदान बढ़ना आवश्यक है। आज opportunity है आप भी दुनिया में जाते हैं, दुनिया को लोगों से मिलते हैं। ऐसा अवसर पहले बहुत कम आए होंगे। इस अवसर को हम जाने न दें। और आवश्‍यक है कि इससे भी आप भली-भांति परिचित हैं कि कैसे कुछ देशों ने अपने PSU’s का इस्तेमाल दूसरे देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए किया है।

ये भी एक तथ्य है कि दुनिया की 500 बड़ी कंपनियों में से एक चौथाई, किसी न किसी देश की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां ही हैं। ये कंपनिया, अपने-अपने देशों में निवेश का भी बड़ा माध्यम बनती हैं। इसलिए आपके संस्थान, अपना विस्तार ज्यादा से ज्यादा कैसे बढ़ाएं, इस पर भी निरंतर सोचना होगा। जैसे आज के दौर में Government to Government Contact बढ़ रहे हैं, आपके लिए बेहतरीन अवसर है PSU to PSU contact बढ़ाने का।

आज भारत के PSU’s ब्राजील से लेकर मोजाम्बीक, रूस से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक में अपना परचम लहरा रहे हैं। लेकिन अब समय की ये भी मांग ये भी है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां overseas investment के लिए और comprehensive strategy बनाकर काम करें। Strategy बनाते समय आपको ये भी ध्यान रखना होगा कि आपकी कंपनी का Return on Investment भी ज्यादा हो और ये देश की Geo-Strategic Reach को भी बढ़ाना वाला हो।

इस सरकार के आने के बाद दूसरे देशों के प्रमुख शहरों के साथ दर्जनों MoU’s पर sign किया गया है। अनेक Sister Cities पर काम हो रहा है। क्या हमारे PSUs उन शहरों की Industry Bodies के साथ, वहां की संस्थाओं के साथ systematic और planned तरीके से Make In India को प्रमोट नहीं कर सकते?

होता क्‍या है। एक स्‍टेट दूसरी स्‍टेट के साथ दुनिया में कई sister state बन जाती है एक city दूसरी city के साथ sister city बन जाते हैं लेकिन बाकी हमारी ईकाइयां हैं उसने भी वहीं पर जाकर के जुड़ना चाहिए। और अधिकतम pillar wise इस दोस्‍ती को खड़ा करना चाहिए, वो छोड़ देते हैं। एक MoU हो गया, government governable जाना है, तो फंक्‍शन कर लेगा बस छुट्टी जी नहीं, हमने इसको maximum ऐसे 50-100 कितने areas हैं जहां वो शहर के साथ हम जुड़ जाते हैं। और इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि इसलिए नये strategic view जरूरत है। इसी तरह हम सभी के सामने एक बड़ा challenge है import bill को लेकर। कई ऐसे Products हैं, जो अभी हम Import करते हैं लेकिन इस Import को कम किया जा सकता है। कुछ सेक्टरों में सरकार Import bill कम करने में सफल हुई है लेकिन अभी करने के लिए बहुत कुछ बाकी है। ऐसे में आप के लिए इस क्षेत्र में भी बहुत बड़ा अवसर है। और ये कोई बहुत बड़ी चुनौती नहीं है। सिर्फ आपको प्रयास करना है। आप देखिए बदलाव आ जाएगा।

आपकी तरफ से एक समय सीमा तय करके, इस ओर कार्य किया जा सकता है कि आने वाले दो-तीन वर्षों में किस Product का Import, दस-पंद्रह-बीस प्रतिशत, जितना आपको उचित लगे, उतना कम करेंगे।

• यदि हम Price Competitive हों और Quality Sensitive हों, और ऐसे Products पर फोकस करें जिनके आयात की बाध्यता है और जिन्हें हम नए innovations के जरिए Replace कर सकते हैं, तो import bill में महत्वपूर्ण कमी आ सकती है।

• साथियों, मैं आपको Defence सेक्टर का उदाहरण देना चाहता हूं। पिछले 60-70 वर्षों से भारत दुनिया के सबसे बड़े arms import करने वाले देशों में से एक रहा है। इतिहास में क्या नीतियां रहीं, मैं इस पर नहीं जाना चाहता। तब तो कोई ये सोच भी नहीं सकता था कि भारत में कोई सरकार रक्षा क्षेत्र में भी Foreign Direct Investment के लिए रास्‍ते खोल सकती है।

• मैं मानता हूं कि हमारे जो Defense Sector के PSUs हैं, उन्हें आज के इस समय को एक बड़े अवसर के रूप में लेना चाहिए। हमारे PSUs जितना ज्यादा Technology Transfer पर जोर देंगे, Joint Ventures की तरफ जाएंगे, उतना ही Make in India मजबूत होगा और देश का Defense सेक्टर भी आत्मनिर्भर बनेगा।

• आज भारत तेजस जैसे लड़ाकू विमान बना रहा है, वर्ल्ड क्लास सबमरीन बना रहा है, Warships बना रहा है। हम तकनीकि रूप से सक्षम भी हैं और समर्थ भी। ऐसे में घरेलू जरूरतों के साथ ही विदेशी बाजार पर भी हमें नजर रखनी होगी।

एक और महत्वपूर्ण पहलू है, Innovation और Research का integration.

• हमारे वैज्ञानिक संस्थानों जैसे Council of Scientific and Industrial Research, Indian Council of Medical Research, Indian Council of Agricultural Research में देश का Best R and D Infrastructure है। CPSEs के पास भी अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित रिसर्च का आधुनिक Infrastructure है।

• आपने कई तकनीकें और Innovative Products भी विकसित किए हैं। लेकिन अकसर ये भी देखा जाता है कि विभिन्न एजेंसियों की laboratories में जो innovation हो रहा है, वो वहीं तक सीमित हो कर रह जाता है। इस स्थिति को बदलकर 2022 तक कैसे Innovation और Research का एक integrated infrastructure आप तैयार कर सकते हैं, उस बारे में भी सोचे जाने की मैं समझता हूं समय की मांग है।

• जब CPSEs और Government Departments के बीच information sharing बढ़ेगी, नई रिसर्च और innovation की जानकारी एक दूसरे को बेहतर तरीके से दी जाएगी, तो रिसर्च की लागत तो कम होगी ही, सिस्टम भी और efficient बनेगा। ये sharing, सिर्फ infrastructure ही नहीं, बल्कि Skill pool, Modern equipments का इस्तेमाल, technologies, हर स्तर पर हो सकती है।

साथियों, बीते कुछ सालों में पब्लिक सेक्टर ने अपनी Balance Sheet के हिसाब से काफी बेहतर काम किया है। पिछले साल CPSEs का नेट Profit सवा लाख करोड़ से ज्यादा रहा। इसका 2 प्रतिशत यानी लगभग 2500 करोड़ रुपए CSR यानी Corporate Social Responsibility के तौर पर खर्च हो सकता है।

• इस राशि का देश की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए कैसे उचित उपयोग हो, इसके बारे में सोचना होगा। आपको याद होगा 2014-15 में, और जो अभी हमें फिल्‍म में भी बताया है। आपने स्कूलों में शौचालय बनाने के लिए CSR Fund डोनेट किया था, जिसके परिणाम आज सबके सामने हैं। मेरा सुझाव है कि जैसे 2014 में स्कूल शौचालयों के निर्माण को चुना गया ऐसी ही एक थीम हर साल चुनी जाए और CSR  का एक बड़ा अंश सिर्फ उसी एक काम में लगाया जाए।

• आपकी जानकारी में होगा कि नीति आयोग ने देश के 115 district जो देश development में बाकी मानकों में पहुंच नहीं पाए हैं। ऐसी जिलों की पहचान क्‍या है, और उसको मैंने Aspirational Districts के रूप से पहचानना तय किया हैं। Backward district day, Aspirational Districts  क्या इन जिलों का विकास आप लोगों के लिए इस वर्ष की थीम हो सकता है क्‍या?

• आपके संस्थान अपनी Corporate Social Responsibility को निभाते हुए Skill Development के कार्यों को भी हाथ में ले सकते हैं। विश्वविद्यालयों-कॉलेजों के साथ जुड़कर, ITI’s के साथ काम करके आप अपने संस्थाओं को Skill Development के बड़े अभियान से भी जोड़ सकते हैं।

• इसके अलावा नेशनल अप्रेन्टिसशिप स्कीम को जितना ज्यादा आपसे समर्थन मिलेगा, उतना ही देश के जवानों का फायदा होगा। और मैं चाहूंगा कि आप जाकर करके तुरंत भारत सरकार की योजना का अध्‍ययन करवाइए, टीम बनाइए और उसको implement करने की दिशा में कुछ कदम उठाइए। आपके संस्थानों जैसे साधन और संसाधन मिलने पर, युवा भी दोगुने जोश से सीखने के लिए आगे आएंगे। इसके अलावा ये आपके लिए Talent Pool का भी काम करेंगे।

• इसके लिए आपको ज्यादा से ज्यादा Incubators और Tinkering labs बनाने होंगे, ताकि कम उम्र में ही Innovative Ideas हम तक पहुंच सकें और उनका उपयोग किया जा सके। Youth की शक्ति को Tap करने की आवश्यकता है, कई बार Youth हमें ऐसे Solutions दे जाते हैं जो हमारा मौजूदा सिस्टम नहीं दे पाता।

साथियों, आपके अनुभवी और संसाधन से भरपूर संस्थान देश को विकास के नए मॉडल भी दे सकते हैं। देश के दूर-दराज वाले इलाकों में भी मौजूद आपके संस्थान, ऊर्जा के वो केंद्र बन सकते हैं जो अपने आसपास के पूरे क्षेत्र को प्रकाशमय कर सकते हैं।

• आप सभी ठान लें तो देश को अगले एक डेढ़ साल में सैकड़ों नए मॉडल smart – cities मिल सकते हैं।

• Paperless Work-Culture, Cashless Transactions, Waste management, ऐसे कितने ही विषय हैं जहां आपकी संस्थाएं रोल मॉडल की तरह काम कर सकती हैं।

• आपके पास Reach है, Resources हैं, इन तमाम प्रयासों के लिए R&D कीजिए और Result लाकर के दिखाइए। ये समाज और देश की बहुत बड़ी सेवा होगी।

और मेरा आग्रह है कि ज्यादा से ज्यादा Efficiency पर फोकस हो, Corporate Governance पर जोर हो और Resources का सही उपयोग किया जाए।

साथियों, अपने संसाधन और सामर्थ्य पर भरोसा किए बिना न ही कोई व्यक्ति आगे बढ़ सकता है, न ही कोई संस्था और न ही कोई देश। भारत में न संसाधनों की कमी है न ही भारत में सामर्थ्य की कमी है। हम में इच्छाशक्ति और खुद पर भरोसा भी। पिछले चार साल में आपने देखा होगा एक बार भी सरकार की तरफ आपको ये स्‍वर नहीं सुनाई होगा कि ये कठिनाई है, ठिगनी कठिनाई है, वगैरह,  हर चुनौतियों को चुनौती देने वाले स्‍वभाव के व्‍यक्ति हैं। और मैं मानता हूं कि हम इसी देश को, हम देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। ये सरकार का मादा है जी, और इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं। देश में कोई साधन संसाधन की कमी नहीं हैं। आओ हम मिल बैठ कर के आगे बढ़े।

मुझे विश्वास है कि ये Initiative जो आपने लिया है, वो आगे भी जारी रहेगा। और इस मंथन से जो Ideas निकले हैं और नए निकलेगें उन्हें ना सिर्फ Implement किया जाएगा बल्कि Monitoring की भी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए।

मैं मानता हूं कि Energy और Experience, Enterprise और Enthusiasm  के संगम से अभूतपूर्व नतीजे मिलेंगे।

मेरे लिए PSU’s यानी Pragati-Seva और Urja. और उसके सेंटर में है S, सेवा सेंटर में है।

New India का सपना लेकर, नई ऊर्जा से युक्त, सेवाभाव से प्रेरित आपका कार्य, राष्ट्र को प्रगति की ओर लेकर ही जाएगा। ये मेरा विश्‍वास है।

भविष्य से जुड़ी आपकी नीतियां-निर्णय सफल हों, New India के संकल्प को सिद्ध करने में आपका ज्यादा से ज्यादा Participation हो, इसी कामना के साथ अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं आग्रह करूंगा कि क्‍या हम सौ दिन के बाद आपमें से जो प्रमुख लोग हों उनके साथ क्‍या मैं बैठ सकता हूं क्‍या? 100 days के बाद और आज जो कहा है, आज जो सुना है, आज जो दिखाया है। उसको date wise कौन देखेगा, कैसे देखेगा, कैसे पूरा करेंगे। इसका पूरा खाका अगर मुझे आप educate करें तो मुझे अच्‍छा लगेगा। क्‍योंकि मुझे भी आपसे बहुत कुछ सीखना है। अगर मैं आप लोगों के साथ कुछ ज्‍यादा समय बिताऊंगा तो जो सीखूंगा वो मैं सरकार में लाऊंगा। तो मैं आशा करता हूं कि ठीक 100 days के बाद जो-जो बाते आज आपने बताई हैं उसका पक्‍का रौडमैप लेकर के responsibility तय करके और ऐसा नहीं, भविष्‍य उज्‍ज्‍वल है, माहौल बहुत अच्‍छा है, लोग उत्‍साहित है, परिणाम निश्चित है, ऐसा नहीं है। सौ कदम जाना है इस दिशा में जाना है। इस तारीख तक दस कदम, इस तारीख तक बीस कदम, इसको हम यहां achieve करेंगे, ये हमारे संसाधान होंगे, हमारी टीम होगी। आप तो इस corporate word के हैं आपको तो सीखाना नहीं पड़ता है। और आप तो बहुत बड़ी फीस देकर मैनेजमेंट पढ़ने भी जाते होंगे। आपके नौजवान सारे। खैर मुझे मालूम नहीं लेकिन जाते तो होंगे और पढ़ते भी होंगे तो लागू कर पाते होंगे कि नहीं, भगवान जाने। लेकिन जो करते होंगे मुझे उसकी बारीकी में जाने की जरूरत नहीं लेकिन आज के मंथन के बाद शायद उसमें भी आप चिंतन करेंगे। लेकिन क्‍या हम इन चीजों का फायदा उठा सकते हैं क्‍या? Presentation specific थे। अब मुझे रौडमैप चाहिए, टारगेट चाहिए और सारे टारगेट measurable होने चाहिए। समंदर के वेहल जैसे नहीं होने चाहिए। वो measurable होने चाहिए। और आप देखें बदलाव तुरंत शुरू होगा।

मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

Source: PMINDIA

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