Text of Prime Minister Shri Narendra Modi’s address to the Nation from the ramparts of the Red Fort on the 72nd Independence Day

Text of Prime Minister Shri Narendra Modi’s address to the Nation from the ramparts of the Red Fort on the 72nd Independence Day

Posted On: 15 AUG 2018 1:35PM by PIB Delhi

मेरे प्‍यारे देशवासियों,

आज़ादी के पावन पर्व की आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं।

आज देश एक आत्‍मविश्‍वास से भरा हुआ है। सपनों को संकल्‍प के साथ परिश्रम की पराकाष्‍ठा कर-करके देश नई ऊंचाईयों को पार कर रहा है। आज का सूर्योदय एक नई चेतना, नई उमंग, नया उत्‍साह, नई ऊर्जा ले कर आया है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, हमारे देश में 12 वर्ष में एक बार नीलकुरिंजी का पुष्‍प उगता है। इस वर्ष दक्षिण की नीलगिरी की पहाडि़यों पर यह हमारा नीलकुरिंजी का पुष्‍प जैसे मानो तिरंगे झंडे के अशोक चक्र की तरह देश की  आज़ादी के पर्व में लहलहा रहा है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, आज़ादी का यह पर्व हम तब मना रहे हैं, जब हमारी बेटियां उत्‍तराखंड, हिमाचल, मणिपुर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश - इन राज्‍यों की हमारी बेटियों ने सात समंदर पार किया और सातों समंदर को तिरंगे रंग से रंग करके वह हमारे बीच लौट आईं।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, हम आज़ादी का पर्व आज उस समय मना रहे हैं, जब एवरेस्‍ट विजय तो बहुत हुए, अनेक हमारे वीरों ने, अनेक हमारी बेटियों ने एवरेस्‍ट पर जा करके तिरंगा झंडा फहराया है। लेकिन इस आज़ादी के पर्व में मैं इस बात को याद करूंगा कि हमारे दूर-सुदूर जंगलों में जीने वाले नन्‍हें-मुन्‍ने आदिवासी बच्‍चों ने इस बार एवरेस्‍ट पर तिरंगा झंडा फहरा करके तिरंगे झंडे की शान और बढ़ा दी है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, अभी-अभी लोकसभा, राज्‍यसभा के सत्र पूरे हुए हैं।  आपने देखा होगा कि सदन बहुत अच्‍छे ढंग से चला  और एक प्रकार से संसद के यह सत्र पूरी तरह सामाजिक न्‍याय को समर्पित था। दलित हो, पीडि़त हो, शोषित हो, वंचित हो, महिलाएं हो उनके हकों की रक्षा करने के लिए हमारी संसद ने संवेदनशीलता और सजगता के साथ सामाजिक न्‍याय को और अधिक बलतर बनाया।

ओबीसी आयोग को सालों से संवैधानिक स्थान के लिए मांग उठ रही थी। इस बार संसद ने पिछड़े, अति पिछड़ों को, उस आयोग को संवैधानिक दर्जा दे करके, एक संवैधानिक व्‍यवस्‍था दे करके, उनकी हकों की रक्षा करने का प्रयास किया।

हम आज उस समय आज़ादी का पर्व मना रहे हैं, जब हमारे देश में उन खबरों ने देश में नई चेतना लाई,  जिनसे हर भारतीय जो दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न रहता हो, आज इस बात का गर्व कर रहा है,कि भारत ने विश्‍व की छठी बड़ी Economy में अपना नाम दर्ज करा दिया है। ऐसे एक सकारात्‍मक माहौल में, सकारात्‍मक घटनाओं की श्रृंखला के बीच आज हम आज़ादी का पर्व मना रहे हैं।

देश को आज़ादी  दिलाने के लिए पूज्‍य बापू के नेतृत्‍व में लक्षावधि लोगों ने अपना जीवन खपा दिया, जवानी जेलों में गुज़ार दी। कई क्रांतिकारी महापुरुषों ने फांसी के तख्‍ते पर लटक करके देश की आज़ादी के लिए फांसी के फंदों को चूम लिया। मैं आज देशवासियों की तरफ से आज़ादी के इन वीर सेनानियों को हृदयपूर्वक नमन करता हूं, अंत:पूर्वक  प्रणाम करता हूं जिस तिरंगे झंडे की आन-बान-शान, हमें जीने-जूझने की, मरने-मिटने की प्रेरणा देता है,जिस तिरंगे की शान के लिए देश की सेना के जवान अपने प्राणों की आहूति दे देते हैं,  हमारे अर्धसैनिक बल जिंदगी खपा देते हैं, हमारे पुलिस बल के जवान सामान्‍य मानवी की रक्षा के लिए दिन-रात देश की सेवा में लगे रहते हैं।

मैं सेना के सभी जवानों को,  अर्धसैनिक बलों को, पुलिस के जवानों को, उनकी महान सेवा के लिए, उनकी त्‍याग-तपस्‍या के लिए, उनके पराक्रम और पुरुषार्थ के लिए आज तिरंगे झंडे की साक्ष्य़ में लालकिले की प्राचीर से शत-शत नमन करता हूं और उनको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

इन दिनों देश के अलग-अलग कोने से अच्‍छी वर्षा की खबरें आ रही हैं, तो साथ-साथ बाढ़ की भी खबरें आ रही हैं। अतिवृष्टिऔर बाढ़ के कारण जिन परिवारों को अपने स्‍वजन खोने पड़ें हैं, जिन्‍हें मुसीबतें झेलनी पड़ी हैं, उन सबके प्रति देश पूरी शक्ति से उनकी मदद में खड़ा है और जिन्‍होंने अपनों को खोया है, उनके दुख में मैं सहभागी हूं।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, अगली बैसाखी हमारे जलियावालां बाग के नरसंहार को सौ वर्ष हो रहे हैं। देश के सामान्‍य लोगों ने देश की आज़ादी  के लिए किस प्रकार से जान की बाजी लगा दी थी औऱ ज़ुल्‍म की सीमाएं कितनी लांघ चुकी थी। जलियावालां बाग हमारे देश के उन वीरों के त्‍याग और बलिदान का का संदेश देता है। मैं उन सभी वीरों को हृदयपूर्वक, आदरपूर्वक नमन करता हूं।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, ये आज़ादी  ऐसे ही नहीं मिली है। पूज्‍य बापू के नेतृत्‍व में अनेक महापुरुषों ने, अनेक वीर पुरुषों ने, क्रांतिकारियों के नेतृत्‍व में अनेक नौजवानों ने, सत्‍याग्रह की दुनिया में रहने वालों ने जवानी जेलों में काट दी। देश को आज़ादी दिलाई, लेकिन आज़ादी  के इस संघर्ष में सपनों को भी संजोया है। भारत के भव्‍य रूप को भी उन्‍होंने मन में अंकित किया है। आज़ादी  के कई वर्षों पहले तमिलनाडु के राष्‍ट्र कवि सुब्रह्मण्‍यम भारती ने अपने सपनों को शब्‍दों में पिरोया था। 

और उन्‍होंने लिखा था-

एल्‍लारुम् अमरनिलई आईडुमनान

मुरईअई इंदिया उलागिरिक्‍कु अलिक्‍कुम 

यानि कि भारत, उन्‍होंने आज़ादी के बाद क्‍या सपना देखा था? सुब्रह्मण्‍यम भारती ने कहा था- भारत पूरी दुनिया के हर तरह के बंधनों से मुक्ति पाने का रास्‍ता दिखाएगा।

मेरे प्‍यारे देशवासियो, इन महापुरुषों के सपनों को पूरा करने के लिए आज़ादी के सेनानियों की इच्‍छाओं को परिपूर्ण करने के लिए, देश के कोटि-कोटि जनों की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए आज़ादी के बाद पूज्‍य बाबा साहेब अम्‍बेडकर जी के नेतृत्‍व में भारत ने एक समावेशी संविधान का निर्माण किया। ये हमारा समावेशी संविधान एक नए भारत के निर्माण का संकल्‍प ले करके आया है। हमारे लिए कुछ ज़िम्‍मेवारियां ले करके आया है। हमारे लिए सीमा रेखाएं तय करके आया है। हमारे सपनों को साकार करने के लिए समाज के हर वर्ग को हर तबके को, भारत के हर भू-भाग को समान रूप से अवसर मिले आगे ले जाने के लिए; उसके लिए हमारा संविधान हमें मार्गदर्शन करता रहा है।

मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों, हमारा संविधान हमें कहता है, भारत के तिरंगे झंडे से हमें प्रेरणा मिलती है- गरीबों को न्‍याय मिले, सभी को, जन-जन को आगे बढ़ने का अवसर‍ मिले, हमारा निम्‍न-मध्‍यम वर्ग, मध्‍यम वर्ग, उच्‍च-मध्‍यम वर्ग, उनको आगे बढ़ने में कोई रुकावटें न आएं, सरकार की अड़चनें न आएं। समाज व्‍यवस्‍था उनके सपनों को दबोच न ले, उनको अधिकतम अवसर मिले, वो जितना फलना-फूलना चाहें, खिलना चाहें, हम एक वातावरण बनाएं।

हमारे बुज़ुर्ग हों, हमारे दिव्‍यांग हों, हमारी महिलाएं हों, हमारे दलित, पीड़ित, शोषित, हमारे जंगलों में ज़िंदगी गुजारने वाले आदिवासी भाई-बहन हों, हर किसी को उनकी आशा और अपेक्षाओं के अनुसार आगे बढ़ने का अवसर मिले। एक आत्‍मनिर्भर हिन्‍दुस्‍तान हो, एक सामर्थ्‍यवान हिन्‍दुस्‍तान हो, एक विकास की निरंतर गति को बनाए रखने वाला, लगातार नई ऊंचाइयों को पार करने वाला हिन्‍दुस्‍तान हो, दुनिया में हिन्‍दुस्‍तान की साख हो, और इतना ही नहीं, हम चाहते हैं कि दुनिया में हिन्‍दुस्‍तान की दमक भी हो। वैसा हिन्‍दुस्‍तान बनाने के लिए हम चाहते हैं।

मेरे प्‍यारे देशवासियो, मैंने पहले भी Team India की कल्‍पना आपके सामने रखी है। जब सवा सौ करोड़ देशवासियों की भागीदारी होती है, जन-जन देश को आगे बढ़ाने के लिए हमारे साथ जुड़ता है। सवा सौ करोड़ सपने, सवा सौ करोड़ संकल्‍प, सवा सौ करोड़ पुरुषार्थ, जब निर्धारित लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए सही दिशा में चल पड़ते हैं तो क्‍या कुछ नहीं हो सकता?

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, मैं आज बड़ी नम्रता के साथ, बड़े आदर के साथ ये ज़रूर कहना चाहूंगा कि 2014 में इस देश के सवा सौ करोड़ नागरिकों ने सरकार चुनी थी तो वे सिर्फ सरकार बना करके, रुके नहीं थे। वे देश बनाने के लिए जुटे भी हैं, जुटे भी थे और जुटे रहेंगे भी। मैं समझता हूं यही तो हमारे देश की ताकत है। सवा सौ करोड़ देशवासी, हिन्‍दुस्‍तान के छह लाख से अधिक गांव आज श्री अरविंद  की जन्‍म जयंती है। श्री अरविंद ने बहुत सटीक बात कही थी। राष्‍ट्र क्‍या है, हमारी मातृभूमि क्‍या है, ये कोई जमीन का टुकड़ा नहीं है, न ही ये सिर्फ संबोधन है, न ही ये कोई कोरी कल्‍पना है राष्‍ट्र एक विशाल शक्ति है जो असंख्‍य छोटी-छोटी इकाइयों को संगठित ऊर्जा का मूर्त रूप देती है। श्री अरविंद की ये कल्‍पना ही आज देश के हर नागरिक को, देश को आगे ले जाने में जोड़ रही है। लेकिन हम आगे जा रहे है वो पता तब तक नहीं चलता है जब तक हम कहां से चले थे, उस पर अगर नजर न डाले, कहां से हमने यात्रा का आरंभ किया था, अगर उसकी ओर नहीं देखेंगे तो कहां गए हैं, कितना गए हैं, इसका शायद अंदाज़ नहीं आएगा। और इसलिए 2013 में हमारा देश जिस रफ़्तार से चल रहा था, जीवन के हर क्षेत्र में 2013 की रफ़्तार थी, उस 2013 की रफ़्तार को अगर हम आधार मान कर सोचें और पिछले 4 साल में जो काम हुए हैं, उन कामों का अगर लेखा-जोखा लें, तो आपको अचरज होगा कि देश की रफ़्तार क्‍या है, गति क्‍या है, प्रगति कैसे आगे बढ़ रही है।शौचालय ही ले लें, अगर शौचालय बनाने में 2013 की जो रफ़्तार थी,  उसी रफ़्तार से चलते तो शायद कितने दशक बीत जाते, शौचालय शत-प्रतिशत पूरा करने में।

अगर हम गांव में बिजली पहुंचाने की बात को कहे, अगर 2013 के आधार पर सोचें तो गांव में बिजली पहुंचाने के लिए शायद एक-दो दशक और लग जाते। अगर हम 2013 की रफ़्तार से देखें तो एलपीजी गैस कनेक्‍शन गरीब को, गरीब मां को धुंआ-मुक्‍त बनाने वाला चूल्‍हा, अगर 2013 की रफ़्तार से चले होते तो उस काम को पूरा करने में शायद 100 साल भी कम पड़ जाते, अगर 2013 की रफ़्तार से चले होते तो। अगर हम 13 की रफ़्तार से optical fibre network करते रहते, optical fibre  लगाने का काम करते तो शायद पीढि़यां निकल जाती, उस गति से optical fibre हिन्‍दुस्तान के गांवों में पहुंचाने के लिए। ये रफ़्तार, ये गति, ये प्र‍गति, ये लक्ष्‍य इस प्राप्ति के लिए हम आगे बढ़ेगें।

     भाइयों-बहनों, देश की अपेक्षाएं बहुत हैं, देश की आवश्‍यकताएं बहुत हैं और उसको पूरा करना, सरकार हो, समाज हो, केंद्र सरकार हो, राज्‍य सरकार हों, सबको मिलजुल कर प्रयास करना ये निरंतर आवश्‍यक होता है और उसी का परिणाम है, आज देश में कैसा बदलाव आया है। देश वही है, धरती वही है, हवाएं वही हैं, आसमान वही है, समन्दर वही है, सरकारी दफ्तर वही हैं, फाइलें वही हैं, निर्णय प्रक्रियाएं करने वाले लोग भी वही हैं। लेकिन चार साल में देश बदलाव महसूस कर रहा है। देश एक नई चेतना, नया उमंग, नए संकप, नई सध, नया पुषाथ, उसको आगे बढ़ा रहा है और तभी तो आज देश दोगुना Highway बना रहा है। देश चार गुना गांव में नए घर बना रहा है। देश आज Record अनाज का उपादन कर रहा है, तो देश आज Record Mobile phone का Manufacturing भी कर रहा है। देश आज Record ट्रैक्टर की खरीद हो रही है। गांव का किसान ट्रैक्टर, Record ट्रैक्टर की खरीदी हो रही है, तो दूसरी तरफ देश में आज आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा हवाई जहाज खरीदने का भी काम हो रहा है। देश आज स्कूलों में शौचालय बनाने पर भी काम कर रहा है, तो देश आज नए IIM, नए IIT, नए AIIMS इसकी स्थापना कर रहा है। देश आज छोटे-छोटे स्थानों पर नए Skill Development के Mission को आगे बढ़ाकर के नए-नए Centre खोल रहा है तो हमारे tier 2, tier 3 cities में Start-up की एक बाढ़ आई हुई है, बहार आई हुई है।

भाइयों-बहनों, आज गांव-गांव तक Digital India को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, तो एक संवेदनशील सरकार एक तरफ Digital हिन्दुस्तान बने, इसके लिए काम कर रही है, दूसरी तरफ मेरे जो दिव्यांग भाई-बहनें हैं, उनके लिये Common Sign, उसकी  Dictionary बनाने का काम भी उतने ही लगन  के साथ आज हमारा देशकर रहा है। हमारे देश का किसान इन आधुनकता, वैज्ञानिकता की ओर जाने के लिये micro irrigation, drip irrigation , Sprinkle उस पर काम कर रहा है, तो दूसरतरफ 99 पुरानी बंद पड़ी संचाई के बड़े-बड़े project भी चला रहा है। हमारे देश की सेना कही पर भी प्राकृतिक आपदा हो, पहुंच जाती है। संकट से घिरे मानव की रक्षा के लिये हमारी सेना करूणा, माया, ममता के साथ पहुंच जाती है, लेकिन वह सेना जब संकप लेकर के चल पड़ती है, तो surgical strike करके दुश्मन के दांत खट़टे करके आ जाती है। ये हमारा देश के विकास का canvas कितना बड़ा है, एक छोर देखिये, दूसरा छोर देखिये।देश पूरे बड़े canvas पर आज नए उमंग और नए उत्साह के साथ आगे बढ़ रहा है।

मैं गुजरात से आया हूं। गुजरात में एक कहावत है। ‘निशान चूक माफ लेकिन नहीं माफ नीचू निशान’। यानि  Aim बड़े होने चाहिए, सपने बड़े होने चाहिए।उसके लिये मेहनत करनी पड़ती है, जवाब देना पड़ता है, लेकन अगर लक्ष्य बड़े नहीं होगें, लक्ष्यदूर के नहीं होगें, तो फिर फैसले भी नहीं होते हैं। विकास की यात्रा भी अटक जाती है। और इसलिये मेरे प्यारे भाइयों-बहनों, हमारे लिये आवश्यक है कि हम बड़े लक्ष्य लेकर के संकल्प के साथ आगे बढ़ने की दिशा में प्रयास करे। जब लक्ष्य ढुलमुल होते हैं, हौसले बुलंद नहीं होते हैं, तो समाज जीवन के जरूरी फैसले भी सालों तक अटके पड़े रहते हैं। MSP देख लीजिये,इस देश के अर्थशास्‍त्री मांग कर रहे थे, किसान संगठन मांग कर रहे थे, किसान मांग कर रहा था, राजनीतिकदल मांग कर रहे थे, कि किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी मिलना चाहिए। सालों से चर्चा चल रही थी , फाइले चलती थीं, अटकती थीं, लटकती थीं, फटकती थीं, लेकिन हमने फैसला लिया। हिम्मतकेसाथ फैसला लिया कि मेरे देश के किसानों को लागत का डेढ़ गुना MSP दिया जाएगा।

GST, कौन सहमत नहीं था, सब कोई चाहते थे GST, लेकिन निर्णय नहीं हो पाते थे, फैसले लेने में मेरा अपना लाभ, गैर-लाभ, राजनीति, चुनाव यह चीजों का दबाव रहता था। आज मेरे देश के छोटे-छोटे व्यापारियों की मदद से उनके खुलेपन से नएपन को स्वीकारने के उनके स्वाभाव के कारण आज देश ने GST लागू कर दिया। व्यापारियों में एक नया विश्वास पैदा हुआ मैं देश के व्यापारी आलम को , छोटे -मोटे उद्योग करने वाले आलम को GST के साथ शुरू में कठिनाइयां आने के बावजूद भी , उसको गले से लगाया, स्वीकार किया। देश आगे बढ़ रहा है। आज हमारे देश के banking sector को ताकतवर बनाने के लये insolvency का कानून हो, bankruptcy का कानून हो , किसने रोका था पहले? इसके लिये ताकत लगती है दम लगता है, विश्‍वास लगता है और जनता जनार्दन के प्रति पूर्ण समर्पण लगता है, तब निर्णय होता है। बेनामी संपत्ति का कानून क्‍यों नहीं लगता था। जब हौसले बुलंद होते हैं तो देश के लिए कुछ करने का इरादा होता है, तो बेनामी संपत्ति के कानून भी लागू होते हैं। मेरे देश की सेना के जवान,  तीन-तीन चार-चार दशक से one rank one pension के लिए मांग कर रहे थे। वो discipline में रहने के कारण आंदोलन नहीं करते थे, लेकिन आवाज लगा रहे थे, कोई नहीं सुनता था। किसी को तो निर्णय करना था, आपने हमें उस निर्णय की जिम्‍मेवारी दी। हमने उसको पूरा कर दिया।

मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों, हम कड़े फैसले लेने का सामर्थ्‍य रखते हैं क्‍योंकि देशहित हमारे लिए सर्वोपरि है। दलहित के लिए काम करने वाले लोग हम नहीं हैं और उसी के कारण हम संकल्‍प लेकर चल पड़े हैं।

मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों, हम यह कैसे भूल सकते हैं कि आज वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था के इस कालखण्ड में पूरी दुनिया भारत की हर बात को देख रही है, आशा अपेक्षा से देख रही है। इसलिए भारत की छोटी-छोटी चीज़ों को, बड़ी चीज़ों को भी विश्व बड़ी गहराई के साथ देखता है। आप याद करिए 2014 के पहले दुनिया की गणमान्‍य संस्‍थाएं, दुनिया के गणमान्‍य अर्थशास्‍त्री, दुनिया में जिनकी बात को अधिकृत माना जाता है, ऐसे लोग कभी हमारे देश के लिए क्‍या कहा करते थे। वो भी एक ज़माना था जब दुनिया से आवाज उठती थी, विद्वानों से आवाज़ उठती थी कि हिन्‍दुस्‍तान की economy risk भरी है। उनको risk दिखाई देता था। लेकिन आज वही लोग, वही संस्‍थाएं, वही लोग बड़े विश्‍वास के साथ कह रहे हैं कि reform momentum, fundamentalsको मजबूती दे रहा है। कैसा बदलाव आया है? एक समय था घर में हों, या घर के बाहर दुनिया एक ही कहती थी red tape की बात करती थी, लेकिन आज red carpet की बात हो रही है। Ease of doing business में अब हम सौ तक पहुंच गये। आज पूरा विश्‍व इसको गर्व से ले रहा है। वो भी दिन था जब विश्‍व मान करके बैठा था,  भारत यानि policy paralysis, भारत यानि delayed reform वो बात हम सुनते थे। आज भी अखबार निकाल करके देखेगो तो दिखाई देगा। लेकिन आज दुनिया में एक ही बात आ रही है कि reform, perform, transform एक के बाद एक नीति विषयक समयबद्ध निर्णयों का सिलसिला चला रहा है। वो भी एक वक्‍त था, जब विश्‍व भारत को fragile five में गिनता था। दुनिया चितिंत थी कि दुनिया को डुबोने में भारत भी अपनी भूमिका अदा कर रहा है। Fragile five में हमारी गिनती हो रही थी। लेकिन आज दुनिया कह रही है कि भारत multi trillion dollar के investment का destination बन गया है। वहीं से आवाज बदल गई है।

मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों, दुनिया भारत के साथ जुड़ने की चर्चा करते समय,  हमारे infrastructure की चर्चा करते समय, कभी बिजली जाने से blackout  हो गया, उन दिनों को याद करती थी, कभी bottlenecks की चर्चा करती थी। लेकिन वही दुनिया, वही लोग, वही दुनिया को मार्ग दर्शन करने वाले लोग इन दिनों कह रहे हैं कि सोया हुआ हाथी अब जग चुका है, चल पड़ा है। सोए हुए हाथी ने अपनी दौड़ शुरू कर दी है। दुनिया के अर्थवेत्ता कह रहे हैं, international institutions कह रहे हैं कि आने वाले तीन दशक तक, यानि 30 साल तक, विश्‍व की अर्थव्‍यवस्‍था की ताकत को भारत गति देने वाला है। भारत विश्‍व के विकास का एक नया स्रोत बनने वाला है। ऐसा विश्‍वास आज भारत के लिए पैदा हुआ है।

आज अंतर्राष्‍ट्रीय मंच पर भारत की साख बढ़ी है, नीति निर्धारित करने वाले छोटे-मोटे जिन-जिन संगठनों में आज हिन्‍दुस्‍तान को जगह मिली है, वहां हिन्‍दुस्‍तान की बात को सुना जा रहा है। हिन्‍दुस्‍तान उसमें दिशा देने में, नेतृत्‍व करने में अपनी भूमिका अदा कर रहा है। दुनिया के मंचों पर हमने अपनी आवाज़ को बुलंद किया है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, कई वर्षों से जिन संस्‍थाओं में हमें सदस्‍यता का इंतजार था, आज देश को विश्‍व की अनगिनत संस्‍थाओं में हमें स्‍थान मिला है। आज,  भारत पर्यावरण की चिंता करने वालों के लिए, global warming के लिए परेशानी की चर्चा करने वाले लोगों के लिए, भारत एक आशा की किरण बना है। आजभारत,International solar alliance में पूरे विश्‍व की अगुआई कर रहा है। आज कोई भी हिन्‍दुस्‍तानी, दुनिया में कहीं पर भी पैर रखता है तो, विश्‍व का हर देश उसका स्‍वागत करने के लिए लाला‍यित होता है। उसकी आंखों में एक चेतना आ जाती है हिन्‍दुस्‍तानी को देखकर। भारत के passport की ताकत बढ़ गई है।  इसने हर भारतीय में आत्‍मविश्‍वास से, एक नई ऊर्जा, नई उमंग ले करके आगे बढ़ने का संकल्‍प पैदा किया है।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, विश्‍व में कहीं पर भी अगर मेरा हिन्‍दुस्‍तानी संकट में है, तो आज उसे भरोसा है कि मेरा देश मेरे पीछे खड़ा रहेगा, मेरा देश संकट के समय में मेरे साथ आ जाएगा। और इतिहास गवाह है पिछले दिनों की अनेक घटनाएं जिसके कारण हम आप देख रहे हैं।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, विश्‍व में भी भारत की तरफ देखने का नजरिया जैसे बदला है वैसे ही हिन्‍दुस्‍तान में North-East के बारे में जब कभी North-East की चर्चा होती थी तो क्‍या खबरें आती थी, वो खबरें, जो लगता था कि अच्‍छा हो, ऐसी खबरें न आए। लेकिन आज, मेरे भाइयों-बहनों, North-East एक प्रकार से उन खबरों को ले करके आ रहा है जो देश को भी प्रेरणा दे रही हैं। आज खेल के मैदान में देखिए हमारे North-East की दमक नजर आ रही है।

मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों, आज North-East की खबर आ रही है कि आखिरी गांव में बिजली पहुंच गई और रात भर गांव नाचता रहा। आज North-East से ये खबरें आ रही हैं। आज North-East में highways, railways, airways, waterways और information ways (i-way)उसकी खबरें आ रही है। आज बिजली के transmission line लगाने का बहुत तेजी से North-East में चल रहा है। आज हमारे North-East के नौजवान वहां BPO खोल रहे हैं। आज हमारे शिक्षा संस्‍थान नए बन रहे हैं, आज हमारा North-East organic farming का hub बन रहा है। आज हमारा North-East sports universityकी मेजबानी कर रहा है।

भाइयों-बहनों, एक समय था जब North-East को लगता था कि दिल्‍ली बहुत दूर है। हमने चार साल के भीतर-भीतर दिल्‍ली को North-East के दरवाज़े पर ला करके खड़ा कर दिया है।

भाइयों-बहनों, आज हमारे देश में 65 प्रतिशत जनसंख्‍या 35 साल की उम्र की है।  हम देश के जवानों के लिए गर्व कर रहे हैं। देश के नव युवक नई पीढ़ी का गर्व कर रहे हैं। हमारे देश के युवाओं ने आज अर्थ के सारे मानदंडों को बदल दिया है। प्रगति के सारे मानदंडों में एक नया रंग भर दिया। कभी बड़े शहरों की चर्चा हुई करती थी। आज हमारा देश Tier 2, Tier 3 city की बातें कर रहा है।  कभी गांव के अंदर जा करके आधुनिक खेती में लगे हुए नौजवान की चर्चा कर रहा है। हमारे देश के नौजवान ने nature of job को पूरी तरह बदल दिया है। startup हो, BPO हो, e-commerce हो, mobility का क्षेत्र हो ऐसे नये क्षेत्रों को आज मेरे देश का नौजवान अपने सीने में बांध करके नई ऊंचाईयों पर देश को ले जाने के लिए लगा हुआ है।

मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों, 13 करोड़ MUDRA LOAN, बहुत बड़ी बात होती है, 13 करोड़ और उसमें भी 4 करोड़ वो लोग है, वो नौजवान हैं, जिन्‍होंने ज़िंदगी में पहली बार कहीं से लोन लिया है, और अपने पैरों पर खड़ें होकर के स्‍वरोजगार पर आगे बढ़ रहे हैं। ये अपने आप में बदले हुए वातावरण का एक जीता जागता उदाहरण है। आज हिन्‍दुस्‍तान के गांवों में, डिजिटल इंडिया के सपने को आगे ले जाने के लिए, हिन्‍दुस्‍तान के आधे से ज्‍यादा तीन लाख गावों में COMMON SERVICE CENTRE मेरे देश के युवा बेटे और बेटियां चला रहे हैं। वे हर गांव को, हर नागरिक को, पलक झपकते ही विश्‍व के साथ जोड़ने के लिए Information Technology का भरपूर उपयोग कर रहे हैं।

मेरे भाइयो-बहनो, आज मेरे देश में Infrastructure ने नया रूप ले लिया है। रेल की गति हो, रोड की गति हो, i-wayहो, highway हो, नए airport हों, एक प्रकार से हमारा देश बहुत तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है। 

मेरे भाइयो-बहनों, हमारे देश के वैज्ञानिकों ने भी देश के नाम को रोशन करने में कभी कोई कमी नहीं रखी। विश्‍व के संदर्भ मेंहो और भारत की आवश्‍यकता के संदर्भ में, कौन हिन्‍दुस्‍तानी गर्व नहीं करेगा जब देश के वैज्ञानिकों ने एक साथ 100 से अधिक satellite आसमान में छोड़ करके दुनिया को चकित कर दिया था। ये सामर्थ्‍य हमारे वैज्ञानिकों का है। हमारे वैज्ञानिकों का पुरुषार्थ था मंगलयान की सफलता पहले ही प्रयास में। मंगलयान ने मंगल की कक्षा में प्रवेश किया, वहां तक पहुंचे, ये अपने-आप हमारे वैज्ञानिकों की सिद्धि थी। आने वाले कुछ ही दिनों में हम अपने वैज्ञानिकों के आधार, कल्‍पना और सोच के बल पर ‘नाविक’ को हम लॉन्‍च करने जा रहे हैं। देश के मछुआरों को, देश के सामान्‍य नागरिकों को नाविक के द्वारा दिशा दर्शन का बहुत बड़ा काम, आने वाले कुछ ही दिनों में हम लगाएंगे।

मेरे प्‍यारे देशवासियों आज इस लाल किले की प्राचीर से, मैं देशवासियों को एक खुशखबरी सुनाना चाहता हूं। हमारा देश अंतरिक्ष की दुनिया में प्रगति करता रहा है। लेकिन हमने सपना देखा है, हमारे वैज्ञानिकों ने सपना देखा है।हमारे देश ने संकल्‍प किया है कि 2022, जब आज़ादी के 75 साल होंगे तब या हो सके तो उससे पहले, आज़ादी के 75 साल मनाएंगे तब, मां भारत की कोई संतान चाहे बेटा हो या बेटी, कोई भी हो सकता है। वे अं‍तरिक्ष में जाएंगे। हाथ में तिरंगा झंडा लेकर के जाएंगे। आजादी के 75 साल के पहले इस सपने को पूरा करना है। मंगलयान से लेकर के भारत के वैज्ञानिकों ने जो अपनी ताकत का परिचय करवाया है। अब हम मानव सहित गगनयान लेकर के चलेगें और ये गगनयान जब अंतरिक्ष में जाएगा, तो कोई हिन्‍दुस्‍तानी लेकर जाएगा। यह काम हिन्‍दुस्‍तान के वैज्ञानिकों के द्वारा होगा। हिन्‍दुस्‍तान के पुरुषार्थ के द्वारा पूरा होगा। तब हम  विश्‍व में चौथा देश बन जाएंगे जो मानव को अंतरिक्ष में पहुंचाने वाला होगा।

भाइयों-बहनों, मैं देश के वैज्ञानिकों को, देश के technicians को मैं हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। इस महान काम के लिए। भाईयों-बहनों हमारा देश आज अन्‍न के भंडार से भरा हुआ है। विशाल अन्न उत्पादन के लिए, मैं देश के किसानों को, खेतिहर मजदूरों को, कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों को, देश में कृषि क्रांति को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

लेकिन भाइयों बहनो, अब वक्‍त बदल चुका है, हमारे किसान को भी, हमारे कृषि बाजार को भी वैश्विक चुनौतियों का सामना करना होता है, वैश्विक बाज़ार का सामना करना होता है। जनसंख्‍या वृद्धि होती हो, जमीन कम होती जाती हो,  तब हमारी कृषि को आधुनिक बनाना, वैज्ञानिक बनाना, technology के आधार पर आगे ले जाना; ये समय की मांग है। और इसलिए आज हमारा पूरा ध्‍यान कृषि क्षेत्र में आधुनिकता लाने के लिए, बदलाव लाने के लिए चल रहा है।

हमने सपना देखा है किसानों की आय दोगुनी करने का। आजादी के 75 साल हों, किसानों की आय दोगुनी करने का सपना देखा है। जिनको इस पर आशंकाएं होती हैं- जो स्‍वाभाविक है। लेकिन हम लक्ष्‍य ले करके चले हैं। और हम मक्‍खन पर लकीर करने की आदत वाले नहीं हैं, हम पत्‍थर पर लकीर करने की स्‍वभाव वाले लोग हैं। मक्‍खन पर लकीर तो कोई भी कर लेता है। अरे पत्‍थर पर लकीर करने के लिए पसीना बहाना पड़ता है, योजना बनानी पड़ती है, जी-जान से जुटना पड़ता है। इसलिए जब आज़ादी के 75 साल होंगे, तब तक देश के किसानों को साथ लेकर कृषि में आधुनिकता ला करके, कृषि के फलक को चौड़ा कर-करके हम आज चलना चाहते हैं। बीज से ले करके बाजार तक हम value addition करना चाहते हैं। हम आधुनिकीकरण करना चाहते हैं और कई नई फसलें भी अब  रिकार्ड उत्‍पादन करने से आगे बढ़ रही हैं। अपने-आप में पहली बार हम देश में agriculture export policy की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं ताकि हम हमारे देश का किसान भी विश्‍व बाज़ार के अंदर ताकत के साथ खड़ा रहे।

आज नई कृषि क्रांति, organic farming, blue revolution, sweet revolution, solar farming; ये नए दायरे खुल चुके हैं। उसको ले करके हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

हमें खुशी की बात है कि आज हमारा देश दुनिया में मछली उत्‍पादन में second highest बन गया है और देखते ही देखते वो नंबर एक पर भी पहुंचने वाला है। आज honey, यानि शहद का export दोगुना हो गया है। आज गन्‍ना किसानों के लिए खुशी होगी कि हमारे ethanol का उत्‍पादन तीन गुना हो गया है। यानि एक प्रकार से ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था में जितना कृषि का महत्‍व है, उतना ही और कारोबारों का है। और इसलिए हम women self-help group द्वारा अरबों-खरबों रूपयों के माध्‍यम से, गांव के जो संसाधन हैं, गांव का जो सामर्थ्‍य है, उसको भी हम आगे बढ़ाना चाहते हैं और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं।

खादी- पूज्‍य बापू का नाम उसके साथ जुड़ा हुआ है। आजादी से अब तक जितनी खादी बेचने की परम्‍परा थी, मैं आज नम्रता से कहना चाहता हूं, खादी की बिक्री पहले से double हो गई है। गरीब लोगों के हाथ में रोजी-रोटी पहुंची है।

मेरे भाइयो-बहनों, मेरे देश का किसान अब solar farming की ओर बल देने लगा है। खेती के सिवाय कोई अन्‍य समय, वो solar farming से भी बिजली बेच करके भी कमाई कर सकता है। हमारा हथकरघा चलाने वाला व्‍यक्ति, हमारे हैंडलूम की दुनिया के लोग; ये भी रोजी-रोटी कमाने लगे हैं।

मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, हमारे देश में आर्थिक विकास हो, आर्थिक समृद्धि हो, लेकिन उन सबके बावजूद भी मानव की गरिमा, ये supreme होती है। मानव की गरिमा के बिना देश संतुलित रूप से न जी सकता है, न चल सकता है, न बढ़ सकता है। इसलिए व्‍यक्ति की गरिमा, व्‍यक्ति का सम्‍मान, हमें उन योजनाओं को ले करके आगे बढ़ना चाहित ताकि वो सम्‍मान से जिंदगी जी सकें, गर्व से जिंदगी जी सकें। नीतियां ऐसी हों, रीति ऐसी हो, नीयत ऐसी होकि जिसके कारण सामान्‍य मानवी, गरीब से गरीब मानवी भी हर किसी को अपने-आप को बराबरी के साथ जीने का अवसर देखता हो।

और इसीलिए उज्ज्वला योजना में, हमने गरीब के घर में गैस पहुंचाने का काम किया है। सौभाग्य योजना में, गरीब के घर में बिजली पहुंचाने का काम किया है। श्रमेव जयते को बल देते हुए हम आगे बढ़ने की दिशा में काम कर रहे हैं।

कल ही हमने महामहिम राष्‍ट्रपति जी का उद्धबोधन सुना। उन्‍होंने बड़े विस्‍तार से ग्राम स्‍वराज अभियान का वर्णन किया। जब भी सरकार की बातें आती हैं, तो कहते हैं नीतियां तो बनती है लेकिन last miledelivery नहीं हुई। कल राष्ट्रपति जी ने बढ़े अच्‍छे तरीके से वर्णन किया कि किस प्रकार से आकांक्षी जिलों के 65 हजार गांवों में दिल्‍ली से चली हुई योजना को गरीब के घर तक, पिछड़े गांव तक कैसे पहुंचाया गया है, इसका काम किया है।

प्‍यारे देशवासियों, 2014 में इसी लाल किले की प्राचीर से जब मैंने स्‍वच्‍छता की बात की थी, तो कुछ लोगों ने इसका मजाक उड़ाया था, मखौल उड़ाया था। कुछ लोगों ने ये भी कहा थाअरे, सरकार के पास बहुत सारे काम हैं ये स्‍वच्‍छता जैसे में अपनी ऊर्जा क्‍यों खपा रहे हैं। लेकिन भाइयों-बहनों, पिछले दिनों WHO की रिपोर्ट आई है और WHO कह रहा है कि भारत में स्‍वच्‍छता अभियान के कारण 3 लाख बच्‍चे मरने से बच गए हैं। कौन हिन्‍दुस्‍तानी होगा जिसको स्‍वच्‍छता में भागीदारी बन करके इन 3 लाख बच्‍चों की ज़िन्‍दगी बचाने का पुण्‍य पाने का अवसर न मिला हो। गरीब के 3 लाख बच्‍चों की जिन्‍दगी बचाना कितना बड़ा मानवता का काम है। दुनिया भर की संस्‍थाएं इसको recognise कर रही हैं।

भाइयों-बहनों, अगला वर्षमहात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती का वर्ष है। पूज्‍य बापू ने, अपने जीवन में, आज़ादी से भी ज़्यादा महत्‍व स्‍वच्‍छता को दिया था। वो कहते थे कि आजादी मिली सत्‍याग्रहियों से, स्‍वच्‍छता मिलेंगी स्‍वच्‍छाग्रहियों से। गांधी जी ने सत्याग्रही तैयार किए थे और गांधी जी की प्रेरणा ने स्‍वच्‍छाग्रही तैयार किए हैं। और आने वाले, 150वीं जयंती जब मनाएंगे, तब ये देश पूज्‍य बापू को स्‍वच्‍छ भारत के रूप में, ये हमारे कोटि-कोटि स्‍वच्‍छाग्रही, पूज्‍य बापू को कार्यान्जलि समर्पित करेंगे। और एक प्रकार से जिन सपनों को ले करके हम चले हैं, उन सपनों को पूरा करेंगे।

मेरे भाइयों-बहनों, ये सही है, कि स्‍वच्‍छता ने 3लाख लोगों की ज़िंदगी बचाई है। लेकिन कितना ही मध्‍यम वर्ग का सुखी परिवार क्‍यों न हो, अच्‍छी-खासी आय रखने वाला, व्‍यक्ति क्‍यों न हो, गरीब क्‍यों न हो, एक बार घर में बीमारी आ जाए तो व्‍यक्ति नहीं पूरा परिवार बीमार हो जाता है। कभी पीढ़ी दर पीढ़ी बीमारी के चक्‍कर में फंस जाती है।

देश के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को, सामान्‍य जन को, आरोग्‍य की सुविधा मिले,  इसलिए गंभीर बीमारियों के लिए और बड़े अस्‍पतालों में सामान्‍य मानवी को भी आरोग्‍य की सुविधा मिले, मुफ्त में मिले और इसलिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री जनआरोग्‍य अभियान प्रारंभ करने का तय किया है। ये प्रधानमंत्री जनअरोग्‍य अभियान के तहत आयुष्मान भारत योजना के तहत, इस देश के 10 करोड़ परिवार, ये प्रारंभिक है, आने वाले दिनों में निम्‍न मध्‍यम वर्ग, मध्‍यम वर्ग, उच्‍च मध्‍यम वर्ग को भी इसका लाभ मिलने वाला है। इसलिए 10 करोड़ परिवारों को, यानी करीब-करीब 50 करोड़ नागरिक, हर परिवार को 5 लाख रुपया सालाना,health assurance देने की योजना है। ये हम इस देश को देने वाले हैं। ये technology drivenव्‍यवस्‍था है, transparency पर बल हो, किसीसामान्‍य व्‍यक्ति को ये अवसर पाने में दिक्‍कत न हो, रुकावट न हो इसमें technology intervention बहुत महत्‍वपूर्ण है। इसके लिए technology के टूल बने हैं।

15 अगस्‍त से आने वाले 4-5-6 सप्‍ताह में देश के अलग-अलग कोने में इस technology का testing शुरू हो रहा है और fullproof बनाने की दिशा में यह प्रयास चल रहा है और फिर इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए 25 सितंबर पंडित दीन दयाल उपाध्‍याय की जन्म जयंती पर पूरे देश में ये प्रधानमंत्री जनआरोग्य अभियान लॉन्च कर दिया जाएगा और उसका परिणाम ये होने वाला है कि देश के गरीब व्यक्ति को अब बीमारी के संकट से जूझना नहीं पड़ेगा। उसको साहूकार से पैसा ब्याज पर नहीं लेना पड़ेगा। उसका परिवार तबाह नहीं हो जाएगा। और देश में भी मध्यमवर्गीय परिवारों के लिये, नौजवानों के लिये आरोग्य के क्षेत्र में नए अवसर खुलेंगे। tier 2 tier 3 cities में नए अस्पताल बनेंगे। बहुत बड़ी संख्‍या में medical staff लगेगा। बहुत बड़े रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

भाइयों-बहनों, कोई ग़रीब, ग़रीबी में जीना नहीं चाहता है। कोई ग़रीब, ग़रीबी में मरना नहीं चाहता है। कोई ग़रीब अपने बच्चों को विरासत में ग़रीबी देकर के जाना नहीं चाहता है। वो छटपटा रहा होता है कि ज़िन्दगी भर ग़रीबी से बाहर निकलने के लिये और इस संकट से बाहर आने के लिये ग़रीब को सशक्त बनाना यही उपचार है, यही उपाय है।

हमने पिछले चार साल में ग़रीब को सशक्त बनाने की दिशा में बल दिया है। हमारा प्रयास रहा है ग़रीब सशक्त हो और अभी-अभी एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने एक बहुत अच्छी रिपोर्ट निकाली है। उन्होंने कहा है कि पिछले दो वर्ष में भारत में पांच करोड़ ग़रीब, ग़रीबी की रेखा से बाहर आ गए हैं।

भाइयों-बहनों, जब ग़रीब के सशक्तिकरण का काम करते हैं, और जब मैं आयुषमान भारत की बात करता था,  दस करोड़ परिवार यानी 50 करोड़ जनसंख्या। बहुत कम लोगों को अंदाज होगा कितनी बड़ी योजना है। अगर मैं अमेरिका, कैनेडा और मैक्सिको की जनसंख्या मिला लूं, तो करीब करीब इतने लाभार्थी आयुषमान भारत योजना में हैं। अगर, मैं पूरे यूरोप की जनसंख्या गिन लूं, करीब-करीब उतनी ही जनसंख्या भारत में इस आयुषमान  भारत के लाभार्थी बनने वाले हैं।

भाइयों-बहनों, गरीब को सशक्त बनाने के लिये हमनें अनेक योजनाएं बनाई है। योजनाएं तो बनती हैं। लेकिन बिचौलिये, कटकी कम्पनी उसमें से मलाई खा लेते हैं। ग़रीब को हक मिलता नहीं है। खज़ाने से पैसा जाता है, योजनाएं कागज पर दिखती हैं,  देश लुटता चला जाता है। सरकारें आंखें मूंद कर के बैठ नहीं सकती और मैं तो कतई नहीं बैठ सकता।

और इसलिये भाइयों-बहनों, हमारी व्यवस्था में आई विकृतियों को ख़त्म करके देश के सामान्य मानवी के मन में विश्वास पैदा करना बहुत आवश्यक है। और ये दायित्व राज्य हो, केन्द्र हो, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं हो, हम सबको मिलकर के निभाना होगा। और इसको आगे बढ़ाना होगा। आप जानकर हैरान होंगे,  जब से हम इस सफाई अभियान में लगे हैं, leakages बंद करने में लगे हैं,  कोई उज्जवला योजना का लाभार्थी होता था, गैस कनेक्शन का लाभार्थी, duplicate gas connection वाला, कोई ration card का लाभार्थी होता था,  कोई scholarship का लाभार्थी होता था,  कोई pension का लाभार्थी होता था। लाभ मिलते थे लेकिन 6 करोड़ लोग ऐसे थे जो कभी पैदा ही नहीं हुए, जिनका कहीं अस्तित्व ही नहीं है, लेकिन उनके नाम से पैसे जा रहे थे। इन 6 करोड़ नामों को निकालना कितना बड़ा कठिन काम होगा, कितने लोगों को परेशानी हुई होगी। जो इंसान पैदा न हुआ, जो इंसान धरती पर नहीं है। ऐसे ही फर्जी नाम लिख करके रुपये मार लिये जाते थे।

इस सरकार ने इसको रोका है। भ्रष्‍टाचार, कालेधन, ये सारे कारोबार रोकने की दिशा में हमने कदम उठाया है।

भाइयों-बहनों, और इसका परिणाम क्‍या आया है? करीब 90 हज़ार करोड़ रुपया,  यह छोटी रकम नहीं है। 90 हजार करोड़ रुपया जो गलत लोगों के हाथ में गलत तरीके से, गलत कारनामों से चले जाते थे वो आज देश की तिजोरी में बचे हैं,  जो देश के सामान्‍य मानव की भलाई के लिए काम आ रहे हैं।

भाइयों-बहनों, यह होता क्‍यों हैं? यह देश गरीब की गरिमा के लिए काम करने वाला देश है। हमारा देश का गरीब सम्‍मान से जिये, इसके लिए काम करना  है। लेकिन ये बिचौलिये क्‍या करते थे?आपको पता होगा कि बाजार में गेहूं की कीमत 24-25 रुपये है, जबकि राशन कार्ड पर सरकार वो गेहूं 24-25 रुपये में खरीद करके सिर्फ दो रुपये में गरीब तक पहुंचाती है। चावल की बाजार में कीमत 30-32 रुपया है, लेकिन गरीब को चावल मिलेइसलिए सरकार 30-32 रुपये में खरीद करके 3 रुपये में राशन कार्ड वाले गरीब तक पहुंचाती है। यानि कि एक किलो गेहूं कोई चोरी कर ले गलत फर्जी नाम से तो उसको तो 20-25 रुपये ऐसे ही मिल जाते हैं। एक किलो चावल मार लें तो उसको 30-35 रुपये ऐसे ही मिल जाते हैं और इसी कारण यह फर्जी नामों से कारोबार चलता था। और जब गरीब राशनकार्ड दुकान पर जाता था, वो कहता था राशन खत्‍म हो गया, राशन वहां से निकल करके दूसरी दुकान पर चला जाता था और वो 2 रुपये से मिलने वाला राशन मेरे गरीब को 20 रुपया, 25 रुपये से खरीदना पड़ता था। उसका हक छीन लिया जाता था भाईयों-बहनों। और इसलिए इस फर्जी कारोबार को अब बंद किया है और उसको रोका है।

भाइयों-बहनों, हमारे देश के कोटि-कोटि गरीबों को 2 रुपये में, 3 रुपये में खाना मिलता है। सरकार उसके लिए बहुत बड़ा आर्थिक खर्च कर रही है। लेकिन इसका  credit सरकार को नहीं जाता है। मैं आज विशेष रूप से मेरे देश के ईमानदार करदाताओं से कहना चाहता हूं कि आज जब दोपहर को आप खाना खाते हो, पलभर के लिए परिवार के साथ बैठ करके मेरी बात को याद करना। मैं आज ईमानदार करदाताओं के दिल को छूना चाहता हूं। उनके मन-मंदिर में नमन करने मैं जा रहा हूं। मेरे देशवासियों, जो ईमानदार करदाता है, जो Tax देता है, मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि जो ईमानदार व्‍यक्ति कर देता है उन पैसों से ये योजनाएं चलती हैं। इन योजनाओं का पुण्‍य अगर किसी को मिलता है तो सरकार को नहीं, मेरे ईमानदार करदाताओं को मिलता है, Tax payer को मिलता है। और इसलिए जब आप खाना खाने के लिए बैठते हैं तो आप विश्‍वास कीजिए आपके कर देने की ईमानदार प्रक्रिया का परिणाम है कि जब आप खाना खा रहे हैं, उसी समय तीन गरीब परिवार भी खाना खा रहे हैं, जिसका पुण्‍य ईमानदार करदाता को मिलता है और गरीब का पेट भरता है।

दोस्‍तों, देश में कर न भरने की हवा बनाई जा रही है, लेकिन जब करदाता को पता चलता है कि उसके कर से, उसके Tax से भले वो अपने घर में बैठा हो, air condition कमरे में बैठा है। लेकिन उसके Tax से उसी समय तीन गरीब परिवार अपना पेट भर रहे हैं। इससे बड़ा जीवन का संतोष क्‍या हो सकता है। उससे ज्‍यादा मन को पुण्‍य क्‍या हो सकता है।

भाईयों-बहनों, आज देश ईमानदारी का उत्‍सव ले करके आगे बढ़ रहा है और ईमानदारी का उत्‍सव ले करके चल रहा है। देश में 2013 तक, यानी पिछले 70 साल की हमारी गतिविधि का परिणाम था, कि देश में directTax देने वाले 4 करोड़ लोग थे। लेकिन भाइयों-बहनों, आज यह संख्‍या करीब-करीब दो गुना हो करके पौने सात करोड़ हो गई है।

और इसलिये भाइयों-बहनों, हमारी व्यवस्था में आई विकृतियों को ख़त्म करके देश के सामान्य मानवी के मन में विश्वास पैदा करना बहुत आवश्यक है। और ये दायित्व राज्य हो, केन्द्र हो, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं हो, हम सबको मिलकर के निभाना होगा। और इसको आगे बढ़ाना होगा। आप जानकर के हैरान होंगे,  जब से हम इस सफाई अभियान में लगे हैं, leakages बंद करने में लगे हैं,  कोई उज्जवला योजना का लाभार्थी होता था, गैस कनेक्शन का लाभार्थी, duplicate gas connection वाला, कोई ration card का लाभार्थी होता था,  कोई scholarship का लाभार्थी होता था,  कोई pension का लाभार्थी होता था,  लाभ मिलते थे लेकिन 6 करोड़ लोग ऐसे थे जो कभी पैदा ही नहीं हुए, जिनका कहीं अस्तित्व ही नहीं है, लेकिन उनके नाम से पैसे जा रहे थे। इन 6 करोड़ नामों को निकालना कितना बड़ा कठिन काम होगा, कितने लोगों को परेशानी हुई होगी। जो इंसान पैदा न हुआ, जो इंसान धरती पर नहीं है। ऐसे ही फर्जी नाम लिख करके रुपये मार लिये जाते थे।

कहां तीन, साढ़े तीन, पौने-चार करोड़ और कहां पौने सात करोड़, यह ईमानदारी का जीता जागता उदाहरण है। देश ईमानदारी की ओर चल पड़ा है इसका उदाहरण है। 70 साल में हमारे देश में जितने indirect tax में उद्यमी जुड़े थे वो 70 साल में 70 लाख का आंकड़ा पहुंचा है। 70 साल में 70 लाख लेकिन सिर्फ GST आने के बाद पिछले एक वर्ष में यह 70 लाख का आंकड़ा एक करोड़ 16 लाख पर पहुंच गया।भाइयों-बहनों, मेरे देश का हर व्‍यक्ति आज ईमानदारी के उत्‍सव में आगे आ रहा है। जो भी आगे आ रहे हैं, मैं उनको नमन करता हूं। जो आगे जाना चाहते हैंमैं उनको विश्‍वास दिलाना चाहता हूं। अब देश परेशानियों से मुक्‍त गर्वपूर्ण  करदाता का जीवन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मैं करदाताओं को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं। आप देश को बनाने में योगदान दे रहे हैं। आपकी परेशानियां हमारी परेशानियां हैं। हम आपके साथ खड़े हैं, क्‍योंकि आपके योगदान से हमें देश को आगे बढ़ाना है और इसलिए भाइयों-बहनों, हम काला धन, भ्रष्‍टाचार को माफ नहीं करेंगे। कितनी ही आफतें क्‍यों न आएं, इस मार्ग को तो मैं छोड़ने वाला नहीं हूं मेरे देशवासियों, क्‍योंकि देश को दीमक की तरह इन्‍हीं बीमारियों ने तबाह करके रखा हुआ है। और इसलिए हमने, आपने देखा होगाअब दिल्‍ली के गलियारों में power broker नज़र नहीं आते हैं। अगर दिल्‍ली में कहीं गूंज सुनाई देती है, तो कुंवर की गूंज सुनाई देती है।

मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों, यह वक्‍त बदल चुका है। हमने देश में कुछ लोग अपने घरों में बैठ करके कहते थे अरे सरकार की वो नीति बदल दूंगा, ढीकना कर दूंगा, फलाना कर दूंगा, उनकी सारी दुकानें बंद हो गई हैं, दरवाजें बंद हो गए हैं।

भाइयों-बहनों, भाई-भतीजावाद को हमने खत्‍म कर दिया है। मेरे-पराये परंपराओं को हमने खत्‍म कर दिया है। रिश्‍वत लेने वालों पर कार्रवाई बड़ी कठोर हो रही है। लगभग तीन लाख संदिग्‍ध कंपनियों पर ताले लग चुके हैं, उनके डायरेक्‍टरों पर पाबंदियां लगा दी गई है भाइयों-बहनों। और आज हमने प्रक्रियाओं को transparent बनाने के लिए online प्रक्रिया चालू की है। हमने IT Technology काउपयोग किया है। और उसका परिणाम है कि आज पर्यावरण - एक समय था कि पर्यावरण की मंजूरी यानि corruption के पहाड़ चढ़ते जाना तब जा करके मिलती थी। भाइयों-बहनों, हमने उसको transparent कर दिया है। ऑनलाइन कर दिया है। कोई भी व्‍यक्ति उसको देख सकता है। और भारत के संसाधनों का सदुपयोग हो, इस पर हम काम कर सकते हैं। भाइयों बहनों आज हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमारे देश में आज सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जज बैठी हुई हैं। कोई भी भारत की नारी गर्व कर सकती है कि भारत के सुप्रीम कोर्ट में आज तीन महिला मान्‍य न्‍यायधीश हमारे देश को न्‍याय दे रही हैं। भाइयों-बहनों, मुझे गर्व है कि आजादी के बाद यह पहली कैबिनेट है जिसमें सर्वाधिक महिलाओं को स्‍थान मिला है। भाईयों-बहनों मैं आज इस मंच से मेरी कुछ बेटियां है, मेरी बहादुर बेटियों को एक खुशखबरी देना चाहता हूं। भारतीय सशस्‍त्र सेना में short service commission के माध्‍यम से नियुक्‍त महिला अधिकारियों को पुरूष समकक्ष अधिकारियों की तरह पारदर्शी चयन प्रक्रिया द्वारा स्‍थाई commission की मैं आज घोषणा करता हूं। जो हमारी लाखों बेटियां आज uniform की जिंदगी जी रही है, देश के लिए कुछ करना चाहती हैं। उनके लिए आज मैं यह तोहफा दे रहा हूं, लाल किले की प्राचीर से दे रहा हूं। देश की महिलाएं और शक्तिशाली भारत के निर्माण में कंधे से कंधा मिला करके चल रही हैं। हमारी मां-बहनों का गर्व, उनका योगदान, उनका सामर्थ्‍य आज देश अनुभव कर रहा है।

भाइयों-बहनों, आए दिन North-East में हिंसक घटनाओं की खबरें आती थीं, अलगाववाद की खबरें आती थीं।बम, बंदूक, पिस्‍तौल की घटनाएं सुनाई देती थीं। लेकिन आज एक armedforces special power act, जो तीन-तीन, चार-चार दशक से लगा हुआ था, आज मुझे खुशी है कि हमारे सुरक्षाबलों के प्रयासों के कारण, राज्‍य सरकारों की सक्रियता के कारण, केन्‍द्र और राज्‍य की विकास की योजनाओं के कारण, जन-साधारण को जोड़ने के प्रयासों का परिणाम है कि आज कई वर्षों के बाद त्रिपुरा और मेघालय पूरी तरह armedforces special power act से मुक्‍त हो गए हैं।

अरुणाचल प्रदेश के भी कई जिले इससे मुक्‍त हो गए हैं। गिने-चुने जिलों में अब ये स्थिति बची है। left wing extremism, माओवाद देश को रक्‍त से रंजित कर रहा है। आए दिन हिंसा की वारदातें करना, भाग जाना, जंगलों में छुप जाना, लेकिन लगातार हमारे सुरक्षाबलों के प्रयासों के कारण, विकास की नई-नई योजनाओं के कारण, जन सामान्‍य को जोड़ने के प्रयासों के कारण जो left wing extremism 126 जिलों में मौत के साये में जीने के लिए मजबूर कर रहा था, आज वो कम हो करके करीब-करीब 90 जिलों तक आ गया है। विकास अब बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। 

भाइयों-बहनों, जम्‍मू और कश्‍मीरके बारे मेंअटल बिहारी वाजपेयी जी ने हमें रास्‍ता दिखाया है और वही रास्‍ता सही है। उसी रास्‍ते पर हम चलना चाहते हैं। वाजपेयी जी ने कहा था - इंसानियत, जम्हूरियतऔर कश्‍मीरियत, इन तीन मूल मुद्दों को ले करके हम कश्‍मीर का विकास कर सकते हैं -चाहे लद्दाख हो, चाहे जम्‍मू हो या श्रीनगर valley हो, संतुलित विकास हो, समान विकास हो, वहां के सामान्‍य मानवी की आशा-आकांक्षाएं पूर्ण हो, infrastructure को बल मिलेऔर साथ-साथ जन-जन को गले लगा करके चलें, इसी भाव के साथ हम आगे बढ़ना चाहते हैं। हम गोली और गाली के रास्‍ते पर नहीं, गले लगा करके मेरे कश्‍मीर के देशभक्ति से जीने वाले लोगों के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं।

भाइयों-बहनों, सिंचाई की परियोजनाएं आगे बढ़ रही हैं। IIT, IIM, AIIMS, का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। डल झील के पुननिर्माण का, पुनर्रोद्धार का काम भी हम चला रहे हैं। सबसे बड़ी बात है, आने वाले दिनों में जम्‍मू-कश्‍मीर के गांव का हर इंसान मुझसे एक साल से मांग कर रहे थे, वहां के पंच मुझसे सैंकड़ों की तादाद में आ करके मिलते थे और वो मांग कर रहे थे कि जम्‍मू-कश्‍मीर में हमें पंचायतों के स्‍थानीय निकायों के चुनाव दीजिए।किसी न किसी कारण से वो रुका हुआ था। मुझे खुशी है कि आने वाले कुछ ही महीनों में जम्‍मू–कश्‍मीर में गांव के लोगों को अपना हक जताने का अवसर मिलेगा। अपना स्‍वयं व्‍यवस्‍था खड़ी करने का अवसर मिलेगा। अब तो भारत सरकार से इतनी बड़ी मात्रा में जो पैसे सीधे गांव के पास जाते हैं तो गांव को आगे बढ़ाने के लिए वहां के चुने हुए पंच के पास ताकत आएगी। इसलिए निकट भविष्‍य में पंचायतों के चुनाव हों, स्‍थानीय नगर-निकायों के चुनाव हों, उस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।

भाइयों-बहनों, हमें देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। हमारा मंत्र रहा है ‘सबका साथ, सबका विकास’। कोई भेदभाव नहीं, कोई मेरा-तेरा नहीं, कोई अपना-पराया नहीं, कोई भाई-भतीजावाद नहीं, सबका साथ यानि सबका साथ। और इसलिए हम ऐसे लक्ष्‍य तय करके चलते हैं। और मैं आज फिर एक बार इस तिरंगे झंडे के नीचे खड़े रह करके, ला‍लकिले की प्राचीर से कोटि-कोटि देशवासियों को उन संकल्‍पों को दोहराना चाहता हूं, उन संकल्‍पों का उद्घोष करना चाहता हूं, जिसके लिए हम अपने-आपको खपा देने के लिए तैयार हैं।

हर भारतीय के पास अपना घर हो - housing for all. हर घर के पास बिजली कनेक्‍शन हो - Power for all. हर भारतीय को धुंए से मुक्ति मिलेरसोई में, और इसलिए cooking gas for all. हर भारतीय को जरूरत के मुताबिक जल मिलेऔर इसलिए water for all. हर भारतीय को शौचालय मिले और इसलिए sanitation for all, हर भारतीय को कुशलता मिले और इसलिये skill for all, हर भारतीय को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मिले, इसलिये health for all, हर भारतीय को सुरक्षा मिले,सुरक्षा का बीमा सुरक्षा कवच मिले और इसलिए insurance for all, हर भारतीय को इंटरनेट की सेवा मिलें और इसलिए connectivity for all, इस मंत्र को ले करके हम देश को आगे बढ़ाना चाहते है।

मेरे प्‍यारे भाइयों-बहनों, लोग मेरे लिए भी कई बातें करते है लेकिन जो कुछ भी कहा जाता हो, मैं आज सार्वजनिक रूप से कुछ चीजों को स्वीकार करना चाहता हूँ कि मैं बेसब्र हूँ, क्योंकि कई देश हमसे आगे निकल चुके है, मैं बेसब्र हूँ मेरे देश को इन सारे देशों से भी आगे ले जाने के लिए बेचैन हूँ। मैं बेचैन हूं, मेरे प्‍यारे देशवासियों, मैं बेसब्र भी हूं, मैं बेचैन भी हूं। मैं बेचैन हूं, क्‍योंकि हमारे देश के बच्‍चों के विकास में, कुपोषण एक बहुत बड़ी रुकावट बना हुआ है। एक बहुत बड़ा bottleneck बना हुआ है। मुझे मेरे देश को कुपोषण से मुक्‍त कराना है इसलिए मैं बेचैन हूं। मेरे देशवासियों, मैं व्‍याकुल हूं ताकि गरीब तक, समुचित health cover प्राप्त हो, इसके लिए मैं बेचैन हूं ताकि मेरे देश का सामान्‍य व्‍यक्ति भी बीमारी से लड़ सके, भिड़ सके।

भाइयों-बहनों, मैं व्‍याकुल भी हूं, मैं व्‍यग्र भी हूं। मैं व्‍यग्र हूं ताकि अपने नागरिक को quality of life, ease of living का अवसर प्रदान हो, उसमें भी सुधार आए।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, मैं व्‍याकुल भी हूं, मैं व्‍यग्र हूं, मैं अधीर भी हूं। क्योंकि चौथी औद्योगिक क्रांति है, जो ज्ञान के अधिष्ठान पर चलने वाली चौथी औद्योगिक क्रांति है उस चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्‍व आईटी जिसके उंगलियों पर है, मेरा देश उसकी अगुवाई करे उसके लिए मैं अधीर हूं।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, मैं आतुर हूं क्‍योंकि चाहता हूं कि देश अपनी क्षमता और संसाधनों का पूरा लाभ उठाए और विश्‍व में गर्व के साथ हम आगे बढ़े।

मेरे प्‍यारे देशवासियों, जो हम आज हैं, कल उससे भी आगे बढ़ना चाहते है। हमें ठहराव मंज़ूर नहीं है, हमें रुकना मंज़ूर नहीं है, और झुकना तो हमारे स्‍वभाव में नहीं है। ये देश न रुकेगा, न झुकेगा, ये देश न थकेगा, हमें नई ऊंचाइयों पर आगे चलना है, उत्तरोत्तर प्रगति करते चलना है।

भाइयों-बहनों, वेद से वर्तमान तक विश्‍व की चिरपुरातन विरासत के हम धनी हैं। हम पर इस विरासत का आर्शीवाद है। उस विरासत की जो हमारे आत्‍मविश्‍वास की बदौलत है। उसको ले करके हम भविष्‍य में और आगे बढ़ना चाहते है। और मेरे प्‍यारे देशवासियों, हम सिर्फ भविष्‍य देखने तक रहना नहीं चाहते है। लेकिन भविष्‍य के उस शिखर पर भी पहुंचना चाहते हैं।भविष्‍य के शिखर का सपना लेकर हम चलना चाहते हैं और इसलिए मेरे प्‍यारे देशवासियों मैं आपको एक नई आशा एक नया उमंग, एक नया विश्‍वास देश उसी से चलता है देश उसी से बदलता है और इसलिए मेरे प्‍यारे देश‍वासियों......

अपने मन में एक लक्ष्‍य लिए,

अपने मन में एक लक्ष्‍य लिए,

मंजिल अपनी प्रत्‍यक्ष लिए,

अपने मन में एक लक्ष्‍य लिए,

मंजिल अपनी प्रत्‍यक्ष लिए हम तोड़ रहे है जंजीरें,

हम तोड़ रहे हैं जंजीरें,

हम बदल रहे हैंतस्वीरें,

ये नवयुग है, ये नवयुग है,

ये नवभारत है, ये नवयुग है,

ये नवभारत है।

“खुद लिखेंगे अपनी तकदीर, हम बदल रहे हैं तस्वीर,

खुद लिखेंगे अपनी तकदीर, ये नवयुग है, नवभारत है,

हम निकल पड़े हैं, हम निकल पड़े हैं प्रण करके,

हम निकल पड़े हैं प्रण करके, अपना तनमन अर्पण करके,

अपना तनमन अर्पण करके, ज़िद है, ज़िद है, ज़िद है,

एक सूर्य उगाना है, ज़िद है एक सूर्य उगाना है,

अम्बर से ऊंचा जाना है, अम्बर से ऊंचा जाना है,

एक भारत नया बनाना है, एक भारत नया बनाना है।।”

मेरे प्यारे देशवासियों, फिर एक बार आज़ादी के पावन पर्व पर आपको अनेक- अनेक शुभकामनाएं देते हुए, आइए जय हिंद के मंत्र के साथ उच्च स्वर से मेरे साथ बोलेंगे, जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, वन्दे मातरम, वन्दे मातरम, वन्दे मातरम, वन्दे मातरम, वन्दे मातरम, वन्दे मातरम।।

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Source: PIB

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