PM’s speech at the dedication of the ‘Statue of Unity’ to the Nation in Kevadiya, Gujarat
मैं बोलूंगा सरदार पटेल, आप लोग बोलेंगे– अमर रहे, अमरे रहे।
सरदार पटेल। अमर रहे, अमर रहे,
सरदार पटेल। अमर रहे, अमर रहे,
सरदार पटेल। अमर रहे, अमर रहे,
मैं एक और नारा चाहूंगा, जो इस धरती से हर पल इस देश में गूंजता रहे। मैं कहूंगा, देश की एकता, आप बोलेंगे – जिंदाबाद, जिंदाबाद।
देश की एकता – जिंदाबाद, जिंदाबाद।
देश की एकता – जिंदाबाद, जिंदाबाद।
देश की एकता – जिंदाबाद, जिंदाबाद।
देश की एकता – जिंदाबाद, जिंदाबाद।
मंच पर विराजमान, गुजरात के गवर्नर श्री ओमप्रकाश कोहली जी, राज्य के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान विजय रूपाणी जी, कर्नाटका के गवर्नर श्रीमान वजुभाई वाला, मध्यप्रदेश की गवर्नर श्रीमती आनंदी बेन पटेल, संसद में मेरे साथीऔर राज्य सभा के सदस्य श्री अमित भाई शाह, गुजरात के उप-मुख्यमंत्री श्री नीतिन भाई, विधानसभा के स्पीकर राजेन्द्र जी, देश-विदेश से यहां उपस्थित महानुभाव और मेरे प्यारे भाईयों और बहनों।
मां नर्मदा की यह पावन पवित्र धारा के किनारे पर सतपुड़ा और विंध के आंचल में इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं आप सभी का, देशवासियों का, विश्व में फैले हुए हिंदुस्तानियों का और हिंदुस्तान को प्रेम करने वाले हर किसी का अभिनंदन करता हूं।
आज पूरा देश सरदार वल्लभ भाई पटेल की स्मृति में राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है। इस अवसर पर देश के कोने-कोने में भारत की एकता और अखंडता के लिए हमारे नौजवान दौड़ लगा रहे हैं। Run for Unity इसमें हिस्सा लेने वाले सभी प्रतिभागियों का भी मैं अभिवादन करता हूं। आपकी भारत भक्ति ही और यही भारत भक्ति की यही भावना है, जिसके बल पर हजारों वर्षों से चली आ रही हमारी सभ्यता फल रही है, फूल रही है। साथियों किसी भी देश के इतिहास में ऐसे अवसर आते हैं जब वो पूर्णत: का एहसास कराते हैं। आज यह वो पल होता है जो किसी राष्ट्र के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो जाता है और उसको मिटा पाना बहुत मुश्किल होता है। आज का यह दिवस भी भारत के इतिहास के ऐसे ही कुछ क्षणों में से एक महत्वपूर्ण पल है। भारत की पहचान भारत के सम्मान के लिए समर्पित एक विराट व्यक्तित्व का उचित स्थान देने का एक अधूरापन ले करके आजादी के इतने वर्षों तक हम चल रहे थे।
आज भारत के वर्तमान ने अपने इतिहास के एक स्वर्णिम पुरूष को उजागर करने का काम किया है। आज जब धरती से ले करके आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है, तब भारत ने न सिर्फ अपने लिए एक नया इतिहास भी रचा है, बल्कि भविष्य के लिए प्रेरणा का गगनचुंबी आधार भी तैयार किया है। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सरदार साहब की इस विशाल प्रतिमा को देश को समर्पित करने का अवसर मिला है। जब मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर इसकी कल्पना की थी तो एहसास नहीं था कि एक दिन प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे ही यह पुण्य काम करने का मौका मिलेगा। सरदार साहब के इस आशीर्वाद के लिए, देश की कोटि-कोटि जनता के आशीर्वाद के लिए मैं खुद को धन्य मानता हूं। आज गुजरात के लोगों ने मुझे जो अभिनंदन पत्र दिया है उसके लिए भी मैं गुजरात की जनता का बहुत-बहुत आभारी हूं। मेरे लिए यह सम्मान पत्र या अभिनंदन पत्र नहीं है, लेकिन जिस मिट्टी में पला-बढ़ा जिनके बीच में संस्कार पाए और जैसे मां अपने बेटे के पीठ पर हाथ रखती है, तो बेटे की ताकत, उत्साह, ऊर्जा हजारों गुना बढ़ जाता है। आज आपके इस सम्मान पत्र में, मैं वो आशीर्वाद की अनुभूति कर रहा हूं। मुझे लोहा अभियान के दौरान मिले लोहे का पहला टुकड़ा भी सौंपा गया है। जब अहमदाबाद में हमने अभियान शुरू किया था तो जिस ध्वज को फहराया गया था, वो भी मुझे उपहार स्वरूप दिया गया है। मैं आप सभी के प्रति गुजरात के लोगों के प्रति कृतज्ञ हूं। और मैं इन चीजों को यहीं पर छोडूंगा, ताकि आप इसे यहां के म्यूजियम में रख पाए, ताकि देश को पता चले।
मुझे वो पुराने दिन याद आ रहे हैं और आज जी भर करके बहुत कुछ कहने का मन भी करता है। मुझे वो दिन याद आ रहे हैं जब देशभर के गांवों से किसानों से मिट्टी मांगी गई थी और खेती में काम किए गए पुराने औजार इकट्ठे करने का काम चल रहा था। जब देशभर के लाखों गांवों करोड़ों किसान परिवारों ने खुद आगे बढ़कर इस प्रतिमा के निर्माण को एक जन आंदोलन बना दिया था। जब उनके द्वारा दिये औजारों से सैकड़ों मीट्रिक टन लोहा निकाला और इस प्रतिमा का ठोस आधार तैयार किया गया।
साथियों, मुझे यह भी याद है कि जब यह विचार मैंने सामने रखा था तो शंकाओं और आशंकाओं का भी एक वातावरण बना था और मैं पहली बार एक बात आज प्रकट भी करना चाहता हूं। जब यह कल्पना मन में चल रही थी, तब मैं यहां के पहाड़ों को खोज रहा था कि मुझे कोई ऐसी बड़ी चट्टान मिल जाए। उसी चट्टान को नक्काशी करके उसमें से सरदार साहब की प्रतिमा निकालूं। हर प्रकार के जांच पड़ताल के बाद पाया कि इतनी बड़ी चट्टान भी संभव नहीं है और यह चट्टान भी उतनी मजबूत नहीं है तो मुझे मेरा विचार बदलना पड़ा और आज जो रूप आप देख रहे हैं उस विचार ने उसमें से जन्म लिया। मैं लगातार सोचता रहता था, लोगों से विचार-विमर्श करता था, सबके सुझाव लेता रहता था और आज मुझे प्रसन्ता है कि देश के इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट से जुड़े जन-जन ने देश के विश्वास को सामर्थ्य को एक शिखर पर पहुंचा दिया।
भाईयों और बहनों, दुनिया की यह सबसे ऊंची प्रतिमा पूरी दुनिया को, हमारी भावी पीढि़यों को उस व्यक्ति के साहस, सामर्थ्य और संकल्प की याद दिलाती रहेगी। जिसने मां भारती को खंड-खंड, टुकड़ों में करने की साजिश को नाकाम करने का पवित्र कार्य किया था। जिस महापुरूष ने उन सभी आशंकाओं को हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त कर दिया, जो उस समय की दुनिया भविष्य के भारत के प्रति जता रही थी। ऐसे लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल को मैं शत-शत नमन करता हूं।
साथियों, सरदार साहब का सामर्थ्य तब भारत के काम आया था, जब मां भारती साढ़े पांच सौ से ज्यादा रियासतों में बंटी पड़ी थी। दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति घोर निराशा थी और निराशावादी उस जमाने में भी थे। निराशावादियों को लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से ही बिखर जाएगा। हालांकि निराशा के उस दौर में भी सभी को उम्मीद की एक किरण दिखती थी और यह उम्मीद की किरण भी सरदार वल्लभ भाई पटेल। सरदार पटेलने कौटिल्य की कूटनीतिक और शिवाजी महाराज के शौर्य का समावेश था। उन्होंने 5 जुलाई, 1947 को रियासतों को सम्बोधित करते हुए सरदार साहब ने कहा था और मैं मानता हूं सरदार साहब के वो वाक्य आज भी उतने ही सार्थक है। सरदार साहब ने कहा था विदेशी अक्रांताओं के सामने हमारे आपसी झगड़े, आपसी दुश्मनी, बैर का भाव हमारी हार की बड़ी वजह थी। अब हमें इस गलती को नहीं दोहराना है और न ही दोबारा किसी का गुलाम होना है।
सरदार साहब के इसी संवाद से एकीकरण की शक्ति को समझते हुए इन राजा-रजवाड़ों ने अपने राज्यों का विलय लिया था। देखते ही देखते भारत एक हो गया। सरदार साहब के आह्वान पर देश के सैकड़ों राजा-रजवाड़ों ने त्याग कीमिसाल कायम की थी। हमें राजा-रजवाड़ों के इस त्याग को भी कभी नहीं भुलना चाहिए। और मेरा एक सपना भी है कि इसी स्थान के साथ जोड़ करके यह साढ़े पांच सौ से अधिक जो राजा-रजवाड़े थे उन्होंने देश के एकीकरण के लिए जो कदम उठाए थे उसका भी एक वर्चुअल म्यूजियम तैयार हो, ताकि आने वाली पीढ़ी को… वरना आज लोकतांत्रिक पद्धति से एक तहसील का अध्यक्ष चुना जाए और उसको कहा जाए कि भाई एक साल पहले छोड़ दो, तो बड़ा तूफान खड़ा हो जाता है। इन राजा-महाराजाओं ने सदियों से अपने पूर्वजों की चीजें देश को दे दी थी। इसको हम कभी भूल नहीं सकते, उसको भी याद रखना होगा।
साथियों, जिस कमजोरी पर दुनिया हमें उस समय ताने दे रही थी, उसी को ताकत बनाते हुए सरदार पटेल ने देश को रास्ता दिखाया था। उसी रास्ते पर चलते हुए संशय में घिरा हुआ भारत आज दुनिया से अपनी शर्तों पर संवाद कर रहा है। दुनिया की बड़ी आर्थिक और सामरिक शक्ति बनने की तरफ हिन्दुस्तान आगे बढ़ रहा है। यह अगर संभव हो पाया है तो उसके पीछे साधारण किसान के घर में पैदा हुए उस असाधारण व्यक्तित्व का सरदार साहब का बहुत बड़ा योगदान था, बहुत बड़ा रोल रहा है। चाहे जितना दबाव क्यों न हो, कितने ही मतभेद क्यों न हो प्रशासन में Governance को कैसे स्थापित किया जाता है। यह सरदार साहब ने करके दिखाया। कच्छ से ले करके कोहिमा तक, करगिल से ले करके कन्याकुमारी तक आज अगर बे-रोक-टोक हम जा-पा रहे हैं तो यह सरदार साहब की वजह से, उनके संकल्प से ही संभव हो पाया है। सरदार साहब ने संकल्प न लिया होता, पलभर कल्पना कीजिए मैं मेरे देशवासियों को झकझोरना चाहता हूं। पल भर कल्पना कीजिए अगर सरदारसाहब ने यह काम न किया होता, यह संकल्प न लिया होता तो आज गिर के lion और गिर के शेर को देखने के लिए और शिव भक्तों के लिए सोमनाथ में पूजा करने के लिए और हैदराबाद के चारमीनार को देखने के लिए हम हिन्दुस्तानियों को वीज़ा लेना पड़ता है। अगर सरदार साहब का संकल्प न होता तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक की सीधी ट्रेन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। अगर सरदार साहब का संकल्प न होता तो सिविल सेवा जैसे प्रशासनिक ढांचा खड़े करने में हमें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता।
भाईयों और बहनों, 21 अप्रैल, 1947 को All India Administrative Services के probationers को सम्बोधित करते हुए सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा था और बड़े शब्द महत्वपूर्ण है। आज भी जो आईएएस, आईपीएस, आईएफएस जो भी हैं यह शब्द हर किसी को याद रखना चाहिए, तब सरदार साहब ने कहा था अब तक जो आईसीएस यानि Indian Civil Servicesथी उसमें न तो कुछ Indian था न वो civil थी और न ही उसमें service की कोई भावना थी। उन्होंने युवाओं से स्थिति को बदलने का आह्वान किया। उन्होंने नौजवानों से कहा था कि उन्हें पूरी पारदर्शिता के साथ, पूरी ईमानदारी के साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा का गौरव बढ़ाना है। उसे भारत के नव-निर्माण के लिए स्थापित करना है। यह सरदार की ही प्रेरणा थी कि भारत प्रशासनिक सेवा की तुलना steelframe से की गई।
भाईयों और बहनों सरदार पटेल को ऐसे समय में देश का गृहमंत्री बनाया गया था जो भारत के इतिहास का सबसे मुश्किल क्षण था। उनके जिम्मे देश की व्यवस्थाओं को पुनर्निर्माण का जिम्मा था तो साथ में अस्त-व्यस्त कानूनव्यवस्था को संभालने का दायित्व भी था। उन्होंने उन मुश्किल परिस्थतियों से देश को बाहर निकालते हुए हमारी आधुनिक पुलिस व्यवस्था के लिए ठोस आधार भी तैयार किया। साथियों, देश के लोकतंत्र से सामान्य जन को जोड़ने के लिए सरदार साहब प्रति पल समर्पित रहे। महिलाओं को भारत की राजनीति में सक्रिय योगदान का अधिकार देने के पीछे भी सरदार वल्लभ भाई पटेल का बहुत बड़ा रोल रहा है। जब देश में माताएं-बहनें पंचायतों और शहरों की संस्थाओं के चुनाव तक में हिस्सा नहीं ले सकती थी, तब सरदार साहब ने उस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई थी। उनकी पहल पर ही आजादी के कई दशक पहले इस भेद-भाव को दूर करने का रास्ता खोला गया था वो सरदार साहब ही थे जिनके चलते आज मौलिक अधिकार हमारे लोकतंत्र का प्रभावी हिस्सा है।
साथियों, यह प्रतिमा सरदार पटेल के उसी प्रण, प्रतिभा, पुरूषार्थ और परमार्थ की भावना का यह जीता-जागता प्रकटीकरण है। यह प्रतिभा उनके सामर्थ्य और समर्पण का सम्मान तो है ही यह New India नये भारत के नये आत्म विश्वास की भी अभिव्यक्ति है। यह प्रतिमा भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को यह याद दिलाने के लिए यह राष्ट्र शाश्वत था, शाश्वत है और शाश्वत रहेगा।
यह देशभर के उन किसानों के स्वाभिमान का प्रतीक है, जिनकी खेत की मिट्टी से और खेत के साजो-सामान का लोहा इसकी मजबूत नींव बनी और हर चुनौती से टकराकर अन्न पैदा करने की उनकी भावना इसकी आत्मा बनी है। यह उन आदिवासी भाई-बहनों के योगदान का स्मारक है, जिन्होंने आजादी के आंदोलन से ले कर विकास की यात्रा में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। यह ऊंचाई यह बुलंदी भारत के युवाओं को यह याद दिलाने के लिए है कि भविष्य का भारत आपकी आकांक्षाओं का है जो इतनी ही विराट है। इन आकांक्षाओं को पूरा करने का सामर्थ्य और मंत्र सिर्फ और सिर्फ एक ही है – ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’, एक भारत श्रेष्ठ भारत, एक भारत श्रेष्ठ भारत।
साथियों Statue of Unity यह हमारे इंजीनियरिंग और तकनीकी सामर्थ्य का भी प्रतीक है। बीते करीब साढ़े तीन वर्षों में हर रोज औसतन ढ़ाई हजार कामगारों ने शिल्पकारों ने मिशन मोड पर काम किया है। कुछ समय के बाद जिनका सम्मान होने वाला है, 90 की आयु को पार कर चुके हैं। ऐसे देश के गणमान्य शिल्पकार श्रीमान राम सुतार जी की अगुवाई में देश के अद्भूत शिल्पकारों की टीम ने कला के इस गौरवशाली स्मारक को पूरा किया है। मन में मिशन की भावना राष्ट्रीय एकता के प्रति समर्पण और भारत भक्ति का ही बल है जिसके कारण इतने कम समय में यह काम पूरा हो गया है। सरदार सरोवर डेम उसका शिलान्यास कब हुआ और कितने दशकों के बाद उसका उद्घाटन हुआ, यह तो अपनी आंखों के सामने देखते-देखते हो गया। इस महान कार्य से जुड़े हर कामगार, हर कारीगर, हर शिल्पकार, हर इंजीनियर इसमें योगदान देने वाले हर किसी का मैं आदरपूर्वक अभिनंदन करता हूं और सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से इसके साथ जुड़े आप सभी का नाम भी सरदार की इस प्रतिमा के साथ इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो गया है।
साथियों, आज जो यह सफर एक पढ़ाव तक पहुंचा है, उसकी यात्रा आठ वर्ष पहले आज के ही दिन शुरू हुई थी। 31 अक्तूबर, 2010 को अहमदाबाद में मैंने इसका विचार सबसे पहले सबके सामने रखा था। करोड़ों भारतीयों की तरह तब मेरे मन में एक ही भावना थी कि जिस महापुरूष ने देश को एक करने के लिए इतना बड़ा पुरूषार्थ किया है, उसको वो सम्मान अवश्य मिलना चाहिए, जिसका वो हकदार है। मैं चाहता था कि यह सम्मान भी उन्हें उस किसान, उस कामगार के पसीने से मिले, जिसके लिए सरदार पटेल ने जीवनभर संघर्ष किया था। साथियों, सरदार पटेल जी ने खेड़ा से बारदोली तक किसान के शोषण के विरूद्ध न सिर्फ आवाज उठाई, सत्याग्रह किया, बल्कि उनका समाधान भी दिया। आज का सहकार आंदोलन जो देश के अनेक गांवों की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बन चुका है यह सरदार साहब की ही दीर्घ दृष्टि का परिणाम है।
साथियों, सरदार पटेल का यह स्मारक उनके प्रति करोड़ों भारतीयों के सम्मान और देशवासियों के सामर्थ्य का प्रतीक तो है ही, यह देश की अर्थव्यवस्था रोजगार निर्माण का भी महत्वपूर्ण स्थान होने वाला है। इससे हजारों आदिवासी भाई-बहनों को हर वर्ष सीधा रोजगार मिलने वाला है। सतपुड़ा और विंध्य के इस अंचल में बसे आप सभी जनों को प्रकृति ने जो कुछ भी सौंपा है, वो अब आधुनिक रूप में आपके काम आने वाला है। देश ने जिन जंगलों के बारे में कविताओं के जरिये पढ़ा अब उन जंगलों, उन आदिवासी परंपराओं से पूरी दुनिया प्रत्यक्ष साक्षात्कार करने वाली है। सरदार साहब के दर्शन करने वाले Tourist सरदार सरोवर dam, सतपुड़ा और विंध्य के पर्वतों के दर्शन भी कर पाएंगे। मैं गुजरात सरकार की फिर से प्रशंसा करूंगा कि वो इस प्रतिमा के आसपास के तमाम इलाकों को Tourist Sport के रूप में विकसित कर रहे हैं।जो फूलों की घाटी बनी है valley of flowers वो इस स्मारक के आकर्षण को और बढ़ाने वाली है और मैं तो चाहूंगा कि यहां एक ऐसी एकता नर्सरी बने कि यहां आने वाला हर Tourist एकता नर्सरी से एकता का पौधा अपने घर ले जाए।और एकता का वृक्ष बोये और प्रति पल देश की एकता का स्मरण करता रहे। साथ में, Tourism यहां के जन-जन के जीवन को बदलने वाला है।
साथियों, इस जिले और इस क्षेत्र का पारंपरिक ज्ञान बहुत समृद्ध रहा है। Statue of Unityके कारण जब Tourism का विकास होगा तो इस ज्ञान का परंपरागत ज्ञान का भी प्रसार होगा। और इस क्षेत्र की एक नई पहचान बनेगी। मुझे विश्वास है मैं इस इलाके से जुड़ा रहा हूं इसलिए मुझे काफी चीजें मालूम है। शायद यहां बैठे हुए कईयों को भी मन कर जाए मेरे कहने के बाद यहां के चावल से बने ऊना-मांडा, तहला-मांडा, ठोकाला मांडा यह ऐसे पकवान है यहां आने वाले पर्यटकों को खूब भाएंगे, खूब पसंद आएंगे। इसी तरह यहां बहुतायात में उगने वाले पौधे आयुर्वेद से जुड़े लोग इसको भलीभांति जानते हैं। खाती भिंडी यह चिकित्सा के लिए अनेक गुणों से भरा हुआ है और उसकी पहचान दूर-दूर तक पहुंचने वाली है। और इसलिए मुझे भरोसा है कि स्मारक यहां पर कृषि को बेहतर बनाने, आदिवासियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए शोध का केंद्र भी बनेगा।
साथियों बीते चार वर्षों में देश के नायकों के योगदान को स्मरण करने का एक बहुत बड़ा अभियान सरकार ने शुरू किया है। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तब भी मेरा इन चीजों पर आग्रह था। यह हमारी पुरातन संस्कृति है, संस्कार है जिनको लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल की यह गगनचुंबी प्रतिमा हो। उनकी स्मृति में दिल्ली में आधुनिक म्यूजियम भी हमने बनाया है। गांधी नगर का महात्मा मंदिर और दांडी कुटीर हो, बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के पंचतीर्थ हो, हरियाणा में किसान नेता सर छोटू राम की हरियाणा की सबसे ऊंची प्रतिमा हो। कच्छ के मांडवी में आजादी के सशस्त्र क्रांति के पुरोधा, गुजरात की धरती की संतान श्याम जी कृष्ण वर्मा का स्मारक हो और हमारे आदिवासी भाईयों-बहनों के वीर नायक गोविंद गुरू का श्रद्धा स्थल हो, ऐसे अनेक महापुरूषों के स्मारक बीते वर्षों में हम तैयार कर चुके हैं।
इसके अलावा नेता जी सुभाष चंद्र बोस का दिल्ली में संग्रहालय हो, छत्रपति शिवाजी महाराज की मुंबई में भव्य प्रतिमा हो या फिर हमारे आदिवासी नायक देश की आजादी के वीर उनकी स्मृति में संग्रहालय बनाने का काम हो, इन सभी विषयों पर हम इतिहास को पुनर्जीवित करने के लिए काम कर रहे हैं। बाबा साहब के योगदान को याद करने के लिए 26 नवंबर को संविधान दिवस व्यापक तौर बनाने का फैसला हो या फिर नेता जी के नाम पर राष्ट्रीय सम्मान शुरू करने का ऐलान हो, यह हमारी ही सरकार ने इन सारी बातों की शुरूआत की है। लेकिन साथियों कई बार तो मैं हैरान रह जाता हूं जब देश में ही कुछ लोग हमारी इस मुहिम को राजनीति के चश्मे से देखना का दु:साहस करते है।
सरदार पटेल जैसे महापुरूषों देश के सपूतों की प्रशंसा करने के लिए भी पता नहीं हमारी आलोचना की जाती है। ऐसा अनुभव कराया जाता है, जैसे हमने बहुत बड़ा अपराध कर दिया है। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या देश के महापुरूषों का स्मरण करना अपराध है क्या? साथियों, हमारी कोशिश है कि भारत के हर राज्य के नागरिक, हर नागरिक का पुरूषार्थ सरदार पटेल के विजन को आगे बढ़ाने में अपने सामर्थ्य का पूरा इस्तेमाल करसके। भाईयों और बहनों सरदार पटेल ने स्वतंत्र भारत में जिस तरह के गांव की कल्पना की और उसका जिक्र उन्होंने आजादी के तीन-चार महीने पहले विट्ठल भाई पटेल कॉलेज की स्थापना के दौरान किया था और सरदार साहब ने कहा था उस कॉलेज के निर्माण के समय कि हम अपने गांवों में बहुत ही बेतरतीब तरीकों से घरों का निर्माण कर रहे हैं, सड़के भी बिना किसी सोच के बनाई जा रही है और घरों के सामने गंदगी का अंबार रहता है। सरदार साहब ने तब गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए धुएं और गंदगी से मुक्त करने का आह्वान किया था। मुझे खुशी है कि जो सपना सरदार साहब ने देखा था देश आज उसको पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जन भागीदारी की वजह से अब देश में ग्रामीण स्वच्छता का दायरा 95% तक पहुंच गया है।
भाईयों और बहनों सरदार पटेल चाहते थे कि भारत सशक्त, सद्र, संवेदनशील, सतर्क और समावेशी बने। हमारे सारे प्रयास उनके इसी सपने को साकार करने की दिशा में हो रहे हैं। हम देश के हर बेघर को पक्का घर देने की भगीरथ योजना पर काम कर रहे हैं। हम उन 18000 गांवों तक बिजली पहुंचाई है, जहां आजादी के इतने वर्षों के बाद भी बिजली नहीं पहुंची। हमारी सरकार सौभाग्य योजना के तहत देश के हर घर तक बिजली कनेक्शन पहुंचाने के लिए दिनरात काम में जुटी हुई है। देश के हर गांव को सड़क से जोड़ना, optical fiber network से जोड़ना, digital connectivity से जोड़ने का काम आज तेज गति से किया जा रहा है। देश में आज हर घर में गैस का चूल्हा हो, गैस का connection पहुंचे इसके प्रयास के साथ ही देश के हर घर में शौचालय की सुविधा पहुंचाने पर काम हो रहा है।
सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी, जब मैं दुनिया के लोगों को बताता हूं तो उनको आश्चर्य होता है अमेरिका की जनसंख्या, मैक्सिको की जनसंख्या, कनाडा की जनसंख्या इनका सबको मिला ले और जितनी जनसंख्या होती है, उससे ज्यादा लोगों के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, आयुष्मान भारत योजना लोग तो कभी-कभी उसको मोदी केयर भी कहते हैं। यह स्वस्थ्य भारत का निर्माण करने में मदद करने वाली योजना है। वो भारत को आयुष्मान करने वाली योजना है। समावेशी और सशक्त भारत के लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश का हमारा आधार हमारा ध्येय मंत्र ‘सबका साथ सबका विकास’ यही हमारा ध्येय मंत्र है।
भाईयों और बहनों सरदार साहब ने रियासतों को जोड़कर देश का राजनीतिक एकीकरण किया। वहीं हमारी सरकार ने जीएसटी के माध्यम से देश का आर्थिक एकीकरण किया है। one nation one tax का सपना साकार किया है। हम भारत जोड़ो के सरदार साहब के प्रण को निरंतर विस्तार दे रहे हैं। चाहे देश की बड़ी कृषि मंडियों को जोड़ने वाली ईनाम योजना हो,one nation one greed का काम हो या फिर भारत माला, सेतू भारतम्, भारत नेक जैसे अनेक कार्यक्रम हमारी सरकार देश को जोड़कर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के सरदार साहब के सपने को साकार करने में जुटी है।
साथियों, आज देश के लिए सोचने वाले युवाओं की शक्ति हमारे पास है। देश के विकास के लिए यही एक रास्ता है, जिसको ले करके सभी देशवासियों को आगे बढ़ना है। देश की एकता, अखंडता और सार्वभौमिकता को बनाए रखना एक ऐसा दायित्व है, जो सरदार वल्लभ भाई पटेल हम हिंदुस्तानियों को सौंप करके गए हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश को बांटने की हर तरह की कोशिश का पुरजोर जवाब दें। और इसलिए हमें हर तरह से सतर्क रहना है, समाज के तौर पर एकजुट रहना है। हमें यह प्रण करना है कि हम अपने सरदार के संस्कारों को पूरी पवित्रता के साथ आने वाली पीढि़यों में भी उतारने में भी कोई कमी नहीं रखेंगे।
साथियों, सरदार वल्लभ भाई पटेल कहते थे हर भारतीय को, और मैं सरदार साहब का वाक्य सुना रहा हूं आपको, सरदार साहब कहते थे – हर भारतीय को यह भुलना होगा कि वो किस जाति या वर्ग से है, उसको सिर्फ एक बात याद रखनी होगी कि वो भारतीय है और जितना इस देश पर अधिकार है, उतने ही कर्तव्य भी है। सरदार साहब की शाश्वत भावना इस बुलंद प्रतिमा की तरह हमेशा हमें प्रेरित करते रहे। इसी कामना के साथ एक बार फिर से Statue of Unityके लिए जो सिर्फ भारतवासियों का ही घटना ही नहीं है यहां पूरी दुनिया कोइतना बड़ा Statueदुनिया के लिए अजीब बात है और इसलिए पूरे विश्व का ध्यान आज माता नर्मदा के तट ने आकर्षित किया है। इससे जुड़े हुए हर साथी को मैं बधाई देता हूं। इस सपने को साकार करने में लगे हुए हर किसी का अभिनंदन करता हूं। मां नर्मदा और ताप्ती की घाटियों में बसे हुए हर आदिवासी भाई-बहन युवा साथी को भी बेहतर भविष्य की मैं हृदयपूर्वक बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
पूरा देश इस अवसर से जुड़ा है, विश्वभर के लोग आज इस अवसर से जुड़े हैं और इतने बड़े उमंग और ऊर्जा के साथ एकता के मंत्र को आगे ले जाने के लिए यह एकता का तीर्थ तैयार हुआ है। एकता की प्रेरणा का प्रेरणा बिंदू हमें यहां से प्राप्त हो रहा है। इसी भावना के साथ हम चलें औरों को भी चलाएं, हम जुड़ेऔरों को भी जोड़े और भारत को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ बनाने का सपना ले करके चले।
मेरे साथ बोलें–
सरदार पटेल – जय हो।
सरदार पटेल – जय हो।
देश की एकता जिंदाबाद।
देश की एकता – जिंदाबाद।
देश की एकता – जिंदाबाद।
देश की एकता – जिंदाबाद।
देश की एकता – जिंदाबाद।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
Source: PMINDIA
Post a Comment