पराली जलाने पर होगी कार्रवाई, योजना के लाभ से रखा जाएगा वंचित

पराली जलाने पर होगी कार्रवाई, योजना के लाभ से रखा जाएगा वंचित


जिले के किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने को लेकर कृषि विभाग गंभीर बना हुआ है। इसकी रोकथाम को लेकर विभाग ने एक ऐप तैयार किया है। जिस ऐप के माध्यम से खेतों की निगरानी की जाएगी ।  इस संबंध में जागरण की ये रिपोर्ट पढ़ें:

जागरण संवाददाता, सुपौल: जिले के किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने को लेकर कृषि विभाग गंभीर बना हुआ है। इसकी रोकथाम को लेकर विभाग ने एक ऐप तैयार किया है। जिस ऐप के माध्यम से खेतों की निगरानी की जाएगी तथा खेतों में पराली जलाने वाले किसानों को चिन्हित कर उन्हें कृषि से संबंधित सभी योजनाओं से एक साल के लिए वंचित रखा जाएगा। जानकारी देते हुए जिला कृषि पदाधिकारी प्रवीण कुमार झा ने बताया कि खेतों में अवशेष जलाए जाने से न सिर्फ खेत की उर्वराशक्ति समाप्त होती है। बल्कि इसका कुप्रभाव वातावरण पर भी पड़ता है। इसको लेकर विभाग गंभीर है तथा इसके मॉनिटरिग को लेकर एक ऐप तैयार किया गया है। इस ऐप के माध्यम से अवशेष जलाने वाले किसानों को चिन्हित किया जाएगा। डीएओ ने कहा कि खेतों में फसल के अवशेष जलाने से उत्पादन में सहयोग करने वाले लाभदायक जीव एवं किसान मित्र मर जाते हैं। साथ ही खेतों में आग लगाने से माइक्रोराइजर के मर जाने से खेतों में जलधारण करने की क्षमता घट जाती है। जिससे खेत जल्दी सूख जाते हैं। साथ ही खेतों में आग लगाने से तरह-तरह की जहरीली गैस निकलती है। इससे मनुष्य को खुले वायु में सांस लेने में परेशानी होती है और वह कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। खेतों में आग लगाने से मिट्टी की ऊपरी परत आग से पक जाती है। जिससे उपज प्रभावित होती है। साथ ही सभी तरह के लाभदायक मित्र मर जाते हैं। उन्होंने कहा कि जिले में खेतों में फसल के अवशेष जलाए जाने से रोकने के लिए प्रखंड के सभी पंचायतों में ग्राम जनसहभागिता से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग से संबंधित किसान सलाहकार, किसान समन्वयक, तकनीकी सलाहकारों को जागरूक किया जाएगा। साथ ही पंचायतों के प्रतिनिधियों की भी जागरूकता अभियान में मदद ली जाएगी। बताया कि खेतों में आग लगाने वाले किसानों की पहचान क्षेत्रीय कर्मी द्वारा की जाएगी। जो किसान अपने खेतों में पराली में आग लगाते पकड़े जाएंगे, उन पर पुलिस द्वारा कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही ऐसे किसानों को एक सालों तक किसी भी योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा।

स्रोत: जागरण

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