पशु बीमा योजना के तहत किसान के मवेशी की मौत पर सरकार देगी पैसा
पत्रिका: नई दिल्ली. Pashu bima yojana 2020: कोई अनहोनी ना हो जाए इसके लिए हम खुद के लिए व अपने परिवार के लिए बीमा (Insurance) करवाते हैं, वहीं खेती—किसानी का आधार माने जाने वाले पशुधन के बीमा (Pashu bima yojana2020) के बारे में सोचते तक नहीं हैं। बीमारी, मौसम या दुर्घटना (Accident) से होने वाली पशु (Animal insurance scheme) की मौत से एक किसान (Farmer) को बहुत ज्यादा नुकसान होता है। किसानों के लिए पशु ही उनकी कमाई (Cattle insurance scheme) का एकमात्र जरिया है।
आजकल पशुधन (Government scheme for Animal) भी लगातार महंगा होता जा रहा है। अच्छी मात्रा में दूध देने वाली गाय—भैस भी लाख रुपये से ज्यादा की आती है। अगर घोड़ा, ऊंट की बात की जाए तो इनकी कीमत कई लाख (Animal insurance scheme) की होती है। इसलिए जरूरी है कि अन्य सामान की तरह भी पशुधन (Animal insurance scheme) का बीमा (Livestock Insurance) कराया जाए। पशुधन बीमा योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना (Government scheme for Animal) है। यह योजना देश के 300 चयनित जिलों में नियमित रूप से चलाया जा रहा है।
बता दे कि राज्य सरकार पशुओं के बीमा (Animal insurance scheme) के लिए समय—समय पर अलग—अलग योजनाएं निकालती हैं। खास बात ये है कि पशुओं के बीमा (Cattle insurance scheme) के प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा केंद्र या सरकारें (Central Government) वहन करती हैं।
पशु बीमा का उद्येश्य
किसानों तथा पशुपालकों को पशुओं (Cattle insurance scheme) की मृत्यु के कारण हुए नुकसान से सुरक्षा मुहैया करवाने हेतु तथा पशुधन बीमा के लाभों को लोगों को बताने तथा इसे पशुधन तथा उनके उत्पादों के गुणवत्तापूर्ण विकास के चरम लक्ष्य के साथ लोकप्रिय बनाने के लिए किया गया। योजना के अंतर्गत देशी/संकर दुधारू मवेशियों और भैंसों का बीमा उनके अधिकतम वर्तमान बाजार मूल्य पर किया जाता है। बीमा का प्रीमियम 50 प्रतिशत तक अनुदानित होता है। अनुदान की पुरी लागत केंद्र सरकार द्वरा वहन की जाती है। अनुदान का लाभ अधिकतम दो पशु प्रति लाभार्थी को अधिकतम तीन साल की एक पॉलिसी के लिए मिलता है।
लाभार्थियों का चयन
- देशी/संकर दुधारू मवेशी और भैस योजना की परिधि के अंतर्गत आएंगे। दुधारू पशु/ भैंस में दूध देनेवाले और नहीं देनेवाले के अलावा वैसे गर्भवती मवेशी, जिन्होंने कम एक बार बछड़े को जन्म दिया हो, शामिल होंगे।
- ऐसे मवेशी जो किसी दूसरी बीमा योजना अथवा योजना के अंतर्गत शामिल किये गये हों, उन्हें इस योजना में शामिल नहीं किया जाएगा।
- अनुदान का लाभ प्रत्येक लाभार्थी को 2 पशुओं तक सीमित रखा गया है तथा एक पशु की बीमा अधिकतम 3 वर्षों के लिए की जाती है।
- किसानों को तीन साल की पॉलिसी लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जो सस्ती और बाढ़ तथा सुखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के घटित होने पर बीमा का वास्तविक लाभ पाने में उपयोगी हो सकती हैं। फिर भी यदि कोई किसान तीन साल से कम अवधि की पॉलिसी लेना चाहता है, तो उसे वह भी दिया जाएगा और उसे उसी मवेशी का अगले साल योजना लागू रहने पर फिर से बीमा कराने पर प्रीमियम पर अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा।
जानिए कैसे होगा बीमा
किसानों को अपने पशु का इंश्योरेंस करवाने के लिए अपने जिले के पशु चिकित्सालय में बीमा के लिए जानकारी देनी होगी। पशु डॉक्टर और बीमा कंपनी का एजेंट किसान के घर जाकर वहां पशु के स्वास्थ की जांच करता है। पशु के स्वस्थ्य होने पर एक हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। पशु का बीमा करने के दौरान बीमा कंपनी द्वरा पशु के कान में टैग लगाया जाता है। किसान की अपने पशु के साथ एक फोटो ली जाती है। इसके बाद बीमा पॉलिसी जारी की जाती है।
स्रोत: पत्रिका
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