मप्र सरकार का बड़ा एलान, कन्या विवाह योजना में अब नहीं मिलेंगे 51 हजार रुपये
मध्य प्रदेश सरकार ने कन्या विवाह योजना में कुछ बदलाव किया है। जिससे इसमें मिलने वाली राशि 51 हजार रुपये अब नहीं मिलेगी। सरकार के अनुसार कोरोना के कारण पांच महीनों में कोई सामूहिक विवाह/निकाह के कार्यक्रम नहीं हुए। इसलिए अब राज्य सरकार योजना को रिवाइज कर सकती है। इस संबंध में अमर उजाला की ये रिपोर्ट पढ़ें:
अमर उजाला: शिवराज सरकार ने पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के एक और फैसले को पलट दिया है। सरकार ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह एवं निकाह योजना में बड़ा बदलाव किया है। शिवराज सरकार ने योजना के तहत 51 हजार की राशि देने से इनकार कर दिया है।
सामाजिक कल्याण मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने अपने एक बयान में कहा कि "इस योजना में पिछली शिवराज सरकार में तय राशि ही दी जाएगी।" मंत्री ने कहा कि पिछली कमलनाथ सरकार ने बिना सोचे-समझे इसे बढ़ाने का फैसला ले लिया था। जिन हितग्राहियों को योजना के तहत 51 हजार का भुगतान नहीं हो सका, उनको मौजूदा सरकार उतनी राशि नहीं देगी।
गौरतलब है कि 2006 में लागू हुई इस योजना में सामूहिक विवाह में शामिल जोड़ों को शुरुआत में 15 हजार रुपये दिए जाते थे। 2014 में इसे बढ़ाकर 25 हजार रुपये किया गया था।
पटेल के मुताबिक पूर्व की कमलनाथ सरकार ने 2019 में राशि बढ़ाकर 51 हजार रुपये कर दिया। लेकिन मार्च तक इस योजना में हुए विवाह का काफी पैसा पेंडिंग है। कोरोना के कारण पांच महीनों में कोई सामूहिक विवाह/निकाह के कार्यक्रम नहीं हुए। इसलिए अब राज्य सरकार योजना को रिवाइज कर सकती है।
पटेल ने कहा कि "हमारी अधिकारियों के साथ बैठक हुई जिसमें उन्होंने राशि जारी करने में असमर्थता जताई। मुख्यमंत्री के साथ बैठक करके इसका हल निकालेंगे। लेकिन हम 51 हजार रुपये नहीं दे पाएंगे। हमारी सरकार विचार करेगी। हम 51 हजार देकर लोगों को भड़काने का काम नहीं करेंगे।"
किन कन्याओं को मिलती है यह राशि
- इसके लिए जरूरी है कि कन्या या कन्या के अभिभावक मध्यप्रदेश के मूल निवासी हों।
- शादी कर रहे जोड़े में कन्या 18 वर्ष और उसका होने वाले वाला पति 21 साल से कम उम्र का न हो।
- इसके अलावा कन्या का नाम समग्र विवाह पोर्टल पर रजिस्टर हो।
- ऐसी परित्यक्ता महिला जो निराश्रित हो और स्वयं के पुनर्विवाह के लिए आर्थिक रूप कमजोर हो।
- जिनका कानूनी रूप से तलाक हो गया हो वे भी इस योजना के लाभ ले सकती हैं।
- ऐसी विधवा महिला जो निराश्रित हो और स्वयं के पुनर्विवाह के लिए आर्थिक तौर पर सक्षम न हो।
- आदिवासी अंचलों में प्रचलित जनजातीय विवाह पद्धति से एकल विवाह करने पर भी योजना का लाभ मिलता है।
स्रोत: अमर उजाला
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