Cabinet ने देश में Ethanol Distillation Capacity को बढ़ाने के लिए संशोधित योजना को मंजूरी दी​​​​​​​

Cabinet ने देश में Ethanol Distillation Capacity को बढ़ाने के लिए संशोधित योजना को मंजूरी दी​​​​​​​


सरकार ने कैबिनेट में एक संशोधित योजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत देश में इथेनॉल आसवन क्षमता को बढ़ाया जाएगा. इससे किसानों को लाभ मिलेगा. क्योंकि इसके तहत किसानों को अपने अनाजों जैसे-चावल, जौ, गेहूं, मक्का और सोरघम तथा गन्ना और चुकंदर से इथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा. इससे किसानों को उनके बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान भी हो सकेगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी. 

आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति (सीसीईए)
मंत्रिमंडल ने देश में इथेनॉल आसवन क्षमता को बढ़ाने के लिए संशोधित योजना को मंजूरी दी​​​​​​​

इसके तहत अनाज (चावल, गेहूं, जौ, मक्का और सोरघम), गन्ना और चुकंदर जैसी खाद्य वस्तुीओं से इथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी

किसानों की एक बड़ी आबादी को लाभ देने के लिए, सरकार भट्टियों को प्रोत्साहित कर रही है कि वह एफसीआई द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले मक्का और चावल से इथेनॉल का उत्पादन करें

भारत 2022 तक 10 प्रति‍शत सम्मिश्रण लक्ष्य प्राप्त करने की राह पर है। यह हमारे किसानों की आय और आजीविका बढ़ाने में मदद करेगा

सरकार ने 2022 तक पेट्रोल के साथ ईंधन ग्रेड इथेनॉल के 10 प्रतिशत, 2026 तक 15 प्रतिशत और 2030 तक 20 प्रतिशत सम्मिश्रण का लक्ष्य तय किया है। सरकार 20 प्रतिशत के सम्मिश्रण लक्ष्य को 2025 से पहले ही पूरा करने की योजना बना रही है

अतिरिक्त गन्ने और चीनी का उपयोग इथेनॉल बनाने के लिए करने से किसानों को उनके बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान हो सकेगा

गन्ना किसानों को पिछले छह वर्षों में लाभ हुआ है क्योंकि गुड़ शीरा आधारित भट्टियों की क्षमता दोगुनी से अधिक होकर 426 करोड़ लीटर हो गई है
30 DEC 2020

2010-11 के चीनी सत्र से गन्‍ने की बेहतर किस्‍मों के आने के बाद देश में चीनी का अतिरिक्‍त उत्‍पादन हुआ है (2016-17 के चीनी सत्र में सूखे के कारण हुए कम उत्‍पादन को छोड़कर) और उम्‍मीद है कि आने वाले वर्षों में भी यह रूख जारी रहेगा। सामान्‍य चीनी सत्र (अक्टूबर से सितम्‍बर) में करीब 320 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्‍पादन होता है, जबकि हमारी घरेलू खपत करीब 260 लाख मीट्रिक टन है। सामान्‍य चीनी सत्र में 60 लाख मीट्रिक टन के इस अतिरिक्‍त उत्‍पादन से चीनी मिलों को अपनी कीमत तय करने में दबाव का सामना करना पड़ता है। 60 लाख मीट्रिक टन का यह अतिरिक्‍त भंडार बिक नहीं पाता और इस तरह चीनी मिलों की 19 हजार करोड़ रुपये की राशि फंस जाती है और उनकी पूंजी तरलता की स्थिति को प्रभावित करती है। परिणामस्‍वरूप वे गन्‍ना किसानों को उनके उत्‍पाद की बकाया राशि का भुगतान नहीं कर पाते। चीनी के इस अतिरिक्‍त भंडार से निपटने के लिए चीनी मिलें चीनी का निर्यात करती हैं और इसके लिए उन्‍हें सरकार से वित्‍तीय सहायता मिलती है, लेकिन विश्‍व व्‍यापार संगठन की व्‍यवस्‍था के अनुरूप भारत, विकासशील देश होने के कारण सिर्फ 2023 तक ही चीनी के निर्यात के लिए वित्‍तीय सहायता दे सकता है।

अत: इस अतिरिक्‍त गन्‍ने और चीनी का इथेनॉल के उत्‍पादन के लिए उपयोग करना ही चीनी के अतिरिक्‍त भंडार से निपटने का सही रास्‍ता है। अतिरिक्‍त चीनी के इस उपयोग से मिलों द्वारा भुगतान किए जाने वाले चीनी के घरेलू मिल-मूल्‍य में स्थिरता आएगी और चीनी मिलों को इसके भंडारण की समस्‍या से निजात मिलेगी। इससे उनके पूंजी प्रवाह में सुधार होगा और उन्‍हें किसानों को उनके बकाया मूल्‍य का भुगतान करने में सुविधा होगी। इसके साथ ही इससे चीनी मिलों को आने वाले सालों में अपना कामकाज चलाने में भी मदद मिलेगी।

सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत, 2026 तक 15 प्रतिशत और 2030 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल का मिश्रण करने का लक्ष्‍य रखा है। चीनी क्षेत्र की सहायता के लिए और गन्‍ना किसानों के हित में सरकार ने बी-हैवी गन्‍ना शीरा, गन्‍ने के रस, शीरा और चीनी से इथेनॉल का उत्‍पादन करने की अनुमति दी है। इसके अलावा, उसने इथेनॉल सत्र के दौरान सी-हैवी गुड़ शीरा और बी-हैवी गुड़ शीरा तथा गन्‍ने के रस/चीनी/शीरा से निकाले जाने वाले इथेनॉल के लिए लाभकारी मिल-मूल्‍य भी तय किया है। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने अब विभिन्‍न अनाजों से निकाले जाने वाले इथेनॉल के मिल-मूल्‍य को भी बढ़ाया है।

ईंधन स्‍तर के इथेनॉल के उत्‍पादन को बढ़ाने के लिए सरकार भट्टियों को भी भारतीय खाद्य निगम में उपलब्‍ध मक्‍का और चावल से इथेनॉल का उत्‍पादन करने के लिए प्रोत्‍साहित कर रही है। सरकार ने मक्‍का और चावल से निकाले जाने वाले इथेनॉल का लाभकारी मूल्‍य भी तय किया है।

सरकार पेट्रोल में इथेनॉल के 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्‍य को 2025 से पहले हासिल करने की योजना बना रही है। हालांकि देश में इस समय चीनी के अतिरिक्‍त भंडार से इथेनॉल निकालने और उसकी आपूर्ति तेल विपणन कंपनियों को करने की पर्याप्‍त क्षमता नहीं है, जबकि भारत सरकार ने तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण करने का तय लक्ष्‍य दिया हुआ है।

इसके अलावा, पेट्रोल और इथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्‍य को सिर्फ गन्‍ने और चीनी से इथेनॉल का उत्‍पादन कर प्राप्‍त नहीं‍ किया जा सकता तथा पहली पीढ़ी (1जी) के इथेनॉल का उत्‍पादन अन्‍य खाद्य वस्‍तुओं जैसे अनाज, चुकंदर आदि से भी किए जाने की आवश्‍यकता होगी, जिसकी पर्याप्‍त क्षमता फिलहाल देश में नहीं है। अत: देश में पहली पीढ़ी के इथेनॉल का उत्‍पादन करने के लिए अनाजों (चावल, गेंहू, जौ, मक्‍का और ज्‍वार) गन्‍ने और चुकंदर आदि से इथेनॉल निकालने की क्षमता को बढ़ाने की बहुत जरूरत है।

इसलिए, सरकार ने इसके लिए निम्‍नलिखित फैसले लिए हैं:-

निम्‍न श्रेणियों को इथेनॉल उत्‍पादन क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा ऋण पर लगने वाले ब्‍याज के वहन की संशोधित योजना लाई जाएगी :-
  1. इथेनॉल उत्‍पादन के लिए अनाज आधारित भट्टियों की स्‍थापना करना/मौजूदा अनाज आधारित भट्टियों का विस्‍तार करना, लेकिन इस योजना के लाभ केवल उन्‍हीं भट्टियों को मिलेंगे, जो अनाजों की सूखी पिसाई की प्रक्रिया (dry milling process) का इस्‍तेमाल करेंगी।
  2. इथेनॉल उत्‍पादन के लिए गुड़ शीरा आधारित नयी भट्टियों की स्थापना/मौजूदा भट्टियों का विस्‍तार (चाहे वे चीनी मिलों से संबद्ध हो या उनसे अलग हो) और चाहे केन्‍द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शून्‍य तरल डिस्‍चार्ज (जेडएलडी) को हासिल करने के लिए स्‍वीकृत कोई भी अन्‍य तरीका कायम करना हो।
  3. इथेनॉल उत्‍पादन के लिए अनाज और शीरा दोनों का दोहरा इस्‍तेमाल करने वाली नयी भट्टियां स्‍थापित करना और पहले से संचालित भट्टियों का विस्‍तार करना।
  4. मौजूदा गुड़ शीरा आधारित भट्टियों (चाहे चीनी मिलों से संबद्ध हो या पृथक हो) को दोहरे इस्‍तेमाल (गुड़ शीरा और अनाज/कोई भी अन्‍य खाद्यान्‍न से 1जी इथेनॉल का उत्पादन) में बदलना और अनाज आधारित भट्टियों को भी दोहरे इस्‍तेमाल वाली भट्टियों में बदलना।
  5. चुकंदर, ज्‍वार और अनाज आदि जैसे अन्‍य खाद्यान्‍न से 1जी इथेनॉल निकालने के लिए नयी भट्टियां स्‍थापित करना/मौजूदा भट्टियों का विस्‍तार करना।
  6. मौजूदा भट्टियों में संशोधित स्प्रिट को इथेनॉल में बदलने के लिए मॉलिक्‍यूलर सीव डीहाईड्रेशन (एमएसडीएच) कॉलम स्‍थापित करना।
  7. सरकार परियोजना प्रस्‍तावकों द्वारा बैंकों से लिए जाने वाले ऋण के ब्‍याज की अदायगी का पांच साल तक खुद वहन करेगी, जिसमें एक साल की मॉरिटोरियम अवधि भी शामिल होगी। यह राशि प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत की दर से या बैंक द्वारा लिए जाने वाले ब्‍याज की दर का 50 प्रतिशत या जो भी कम हो, होगी।
  8. यह लाभ सिर्फ उन्‍हीं भट्टियों को मिलेगा, जो अपनी बढ़ी हुई क्षमता के कम से कम 75 प्रतिशत उत्‍पादित इथेनॉल की आपूर्ति पेट्रोल में मिश्रण के लिए तेल विपणन कंपनियों को करेंगी।
इस प्रस्‍तावित कदम से विविध प्रकार के अनाजों से पहली पीढ़ी के इथेनॉल के उत्‍पादन में वृद्धि होगी, पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्‍य को प्राप्‍त किया जा सकेगा और इथेनॉल को ऐसे ईंधन के तौर पर प्रोत्‍साहित किया जा सकेगा, जो स्‍वदेश में उत्‍पादित, गैर-प्रदूषणकारी और अक्षय होगा तथा जिससे पर्यावरण और इको-सिस्‍टम में सुधार होगा। इसके परिणामस्‍वरूप देश के तेल आयात व्‍यय की बचत की जा सकेगी। यह किसानों को उनके बकाये का समय पर भुगतान भी सुनिश्चित करेगा।

इथेनॉल निकालने की क्षमता और मिश्रण स्‍तर बढ़ाने में पिछले 6 साल में सरकार द्वारा हासिल की गईं उपलब्धियां:-

सरकार ने मोटर वाहन ईंधन में इथेनॉल का 2022 तक 10 प्रतिशत और 2030 तक 20 प्रतिशत मिश्रण करने का लक्ष्‍य तय किया है। वर्ष 2014 तक गुड़ शीरा आधारित भट्टियों की इथेनॉल निकालने की क्षमता 200 करोड़ लीटर से कम थी। पिछले 6 साल में गुड़ शीरा आधारित भट्टियों की यह क्षमता बढ़कर दोगुनी हो गई और इस समय यह 426 करोड़ लीटर हो गई है। मिश्रण लक्ष्‍यों के बारे में हम पाते है कि सरकार देश में 2024 तक इथेनॉल निकालने की क्षमता को बढ़ाकर दोगुना करने के लिए संगठित प्रयास कर रही है।

इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2013-14 में तेल विपणन कंपनियों को इथेनॉल की आपूर्ति 40 करोड़ लीटर से कम थी और मिश्रण स्‍तर सिर्फ 1.53 प्रतिशत था। हालांकि केन्‍द्र सरकार के संगठित प्रयासों के चलते ईंधन स्‍तर के इथेनॉल का उत्‍पादन और तेल विपणन कंपनियों को इसकी आपूर्ति पिछले 6 साल में चार गुना बढ़ी है। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2018-19 में हमने ऐतिहासिक तौर पर करीब 189 करोड़ लीटर के उच्‍च आंकड़े और 5 प्रतिशत मिश्रण के स्‍तर को हासिल कर लिया है। हालांकि महाराष्‍ट्र और कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में सूखे के कारण चीनी और गुड शीरा का उत्‍पादन 2019-20 के स्‍तर में कुछ कम रहा और इस वजह से भट्टियों ने करीब 172.50 करोड़ लीटर इथेनॉल की तेल विपणन कंपनियों को आपूर्ति की। इस तरह 2019-20 में 5 प्रतिशत मिश्रण के स्‍तर को हासिल किया गया। उम्‍मीद की जाती है कि मौजूदा इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2020-21 में तेल विपणन कंपनियों को करीब 325 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की जा सकेगी और 8.5 प्रतिशत के मिश्रण स्‍तर को हासिल किया जा सकेगा। संभव है कि हम 2022 तक 10 प्रतिशत मिश्रण के स्‍तर को हासिल कर लें।

मिश्रण स्‍तर में वृद्धि से आयातित जैव ईंधन पर निर्भरता कम होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा। भट्टियों की क्षमता में वृद्धि/नयी भट्टियां लगाने से ग्रामीण इलाकों में नए रोजगार अवसरों का सृजन होगा और इस तरह आत्‍मनिर्भर भारत के लक्ष्‍य को प्राप्‍त किया जा सकेगा।

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Source: PIB
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