Text of PM’s remarks at meeting with Chief Ministers on Covid-19 situation

Text of PM’s remarks at meeting with Chief Ministers on Covid-19 situation


देश में कोरोना के अचानक से बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक बैठक की जिसमे COVID-19 की स्थितियों के बारे में मंथन किया गया. इस मंथन में प्रधानमंत्री ने कहा कि जो क्षेत्र या जो जिला अब तक Safe Zone बने हुए थे, वही से अब नए केसेस बहुत अधिक मात्रा में आने लगे हैं और ये भी देखने को मिला है कि कई स्थानों पर अब प्रशासन भी मास्क को लेकर गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें इन सब बातो को ध्यान देना होगा ताकि हम कोरोना के इस Second Peak को पूरे देश में फैलने से रोक पायें. 

Prime Minister's Office
Text of PM’s remarks at meeting with Chief Ministers on Covid-19 situation
17 MAR 2021

आप सभी का अनेक महत्वपूर्ण बिंदू उठाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। कोरोना के खिलाफ, देश की लड़ाई को अब एक साल से ज्यादा हो रहा है। इस दौरान भारत के लोगों ने कोरोना का जिस तरह मुकाबला किया है, उसकी दुनिया में उदाहरण के रूप में चर्चा हो रही है, लोग उसको उदाहरण के रूप में प्रस्‍तुत करते हैं। आज भारत में 96 प्रतिशत से ज्यादा केसेस recover हो चुके हैं। Fatality rate में भी भारत दुनिया के उन देशों की लिस्ट में है, जहां ये रेट सबसे कम है।

देश और दुनिया में कोरोना की स्थिति को सामने रखते हुए जो presentation यहाँ दिया गया, उससे भी कई अहम पहलू हमारे सामने आए हैं। दुनिया के अधिकांश कोरोना प्रभावित देश ऐसे हैं, जिन्हें कोरोना की कई Waves का सामना करना पड़ा है। हमारे देश में भी कुछ राज्यों में Cases कम होने के बाद अचानक से वृद्धि होने लगी है। आप सभी इन पर ध्यान दे रहे हैं लेकिन फिर भी कुछ राज्‍यों का उल्‍लेख हुआ जैसे महाराष्‍ट्र है, पंजाब है; आप मुख्‍यमंत्रियों ने भी चिंता व्‍यक्‍त की है, सिर्फ मैं कह रहा हूं ऐसा नहीं है। और विशेष चिंता आप कर भी रहे हैं और करने की जरूरत भी है। हम ये भी देख रहे हैं कि महाराष्ट्र और एमपी में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट बहुत ज्यादा है। और केसों की संख्‍या भी बढ़ रही है, बहुत आ रहे हैं।

इस बार कई ऐसे इलाकों, ऐसे जिलों में भी ये वृद्धि देखने को मिल रही है, जो अभी तक खुद को बचाए हुए थे। Safe Zone थे एक प्रकार से, अब वहां पर हमें कुछ चीजें नजर आ रही हैं। देश के सत्तर ज़िलों में तो पिछले कुछ हफ़्तों में यह वृद्धि 150 परसेंट से भी ज़्यादा है। अगर हम इस बढ़ती हुई महामारी को यहीं नहीं रोकेंगे तो देश व्यापी ऑउटब्रेक की स्थिति बन सकती है। हमें कोरोना की इस उभरती हुई "सेकंड पीक" को तुरंत रोकना ही होगा। और इसके लिए हमें Quick और Decisive कदम उठाने होंगे। कई जगह देखने को मिल रहा है कि मास्क को लेकर अब स्थानीय प्रशासन द्वारा भी उतनी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। मेरा आग्रह है कि स्थानीय स्तर पर गवर्नेंस को लेकर जो भी दिक्कत हैं, उनकी पड़ताल, उनकी समीक्षा की जानी, और उन दिक्कतों को सुलझाया जाना ये मैं समझता हूं वर्तमान में बहुत आवश्यक है।

ये मंथन का विषय है कि आखिर कुछ क्षेत्रों में ही टेस्टिंग कम क्यों हो रही है? क्यों ऐसे ही क्षेत्रों में टीकाकरण भी कम हो रहा है? मैं समझता हूं कि ये Good Governance की परीक्षा का भी समय है। कोरोना की लड़ाई में हम आज जहां तक पहुंचे हैं, उसमें और उससे जो आत्मविश्वास आया है, ये आत्‍मविश्‍वास, हमारा confidence- over confidence भी नहीं होना चाहिए, हमारी ये सफलता लापरवाही में भी नहीं बदलनी चाहिए। हमें जनता को पैनिक मोड में भी नहीं लाना है। एक भय का साम्राज्‍य फैल जाए, ये भी स्थिति नहीं लानी है और कुछ सावधानियां बरत करके, कुछ initiative ले करके हमें जनता को परेशानी से मुक्ति भी दिलानी है।

अपने प्रयासों में हमें अपने पुराने अनुभवों को शामिल करके रणनीति बनानी होगी। हर राज्‍य के अपने-अपने प्रयोग हैं, अच्‍छे प्रयोग हैं, अच्‍छे initiative हैं, कई राज्‍य दूसरे राज्‍यों से नए-नए प्रयोग सीख भी रहे हैं। लेकिन अब एक साल में हमारी गवर्नमेंट मशीनरी इनको नीचे तक ऐसी परिस्थितियों में कैसे काम करना, करीब-करीब ट्रेनिंग हो चुकी है। अब हमें pro-active होना जरूरी है। हमें जहां जरूरी हो…और ये मैं आग्रहपूर्वक कहता हूं...micro containment zone बनाने का विकल्प भी किसी भी हालत में ढिलास नहीं लानी चाहिए, इस पर बड़े आग्रह से काम करना चाहिए। ज़िलों में काम कर रही पैन्डेमिक रिस्पांस टीम्स को "कन्टेनमेंट और सर्विलांस SOPs" की re-orientation की आवश्यकता हो तो वो भी किया जाना चाहिए। फिर से एक बार चार घंटे, छह घंटे के लिए बैठ करके एक चर्चा हो, हर लेवल  पर चर्चा हो। sensitise भी करेंगे, पुरानी चीजें याद करा देंगे और गति भी ला सकते हैं। और इसके साथ ही, 'टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट' इसको लेकर भी हमें उतनी ही गंभीरता की जरूरत है जैसे कि हम पिछले एक साल से करते आ रहे हैं। हर संक्रमित व्यक्ति के contacts को कम से कम समय में ट्रैक करना और RT-PCR टेस्ट रेट 70 प्रतिशत से ऊपर रखना बहुत अहम है।

हम ये भी देख रहे हैं कि कई राज्यों में रेपिड एंटीजेन टेस्टिंग पर ही ज्यादा बल दिया जा रहा है। उसी भरोसे गाड़ी चल रही है। जैसे केरल है, ओडिशा है, छत्तीसगढ़ है और यूपी है। मुझे लगता है कि इसमें बहुत तेजी से बदलने की जरूरत है। इन सभी राज्‍यों में, मैं तो चाहता हूं देश के सभी राज्‍यों में हमें RT-PCR टेस्ट और बढ़ाने पर जोर देना होगा। एक बात जो बहुत ध्यान देने वाली है, वो ये कि इस बार हमारे टियर 2- टियर 3 शहर जो शुरू में प्रभावित नहीं हुए थे, उनके आस-पास के क्षेत्र प्रभावित ज़्यादा हो रहे हैं। देखिए इस लड़ाई में हम सफलतापूर्वक बच पाए हैं, उसका एक कारण था कि हम गांवों को इससे मुक्‍त रख पाए थे। लेकिन टियर 2-टियर 3 सिटी पहुंचा तो इसको गांव में जाने से देर नहीं लगेगी और गांवों को संभालना...हमारी व्‍यवस्‍थाएं बहुत कम पड़ जाएंगी। और इसलिए हमें छोटे शहरों में टेस्टिंग को बढ़ाना होगा।

हमें छोटे शहरों में "रेफरल सिस्टम" और "एम्बुलेंस नेटवर्क" के ऊपर विशेष ध्यान देना होगा। प्रेजेंटेशन में ये बात भी सामने रखी गई है कि अभी वायरस का spread dispersed manner में हो रहा है। इसकी बहुत बड़ी वजह ये भी है कि अब पूरा देश ट्रैवल के लिए खुल चुका है, विदेशों से आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है। इसलिए, आज हर एक केस के ट्रैवल की, उसके contacts के ट्रैवल की सूचना सभी राज्यों को आपस में भी साझा करना जरूरी हो गया है। आपस में जानकारी साझा करने के लिए किसी नए mechanism की जरूरत लगती है, तो उस पर भी विचार होना चाहिए। इसी तरह, विदेश से आने वाले यात्रियों और उनके contacts के surveillance के लिए SOP के पालन की ज़िम्मेदारी भी बढ़ गई है। अभी हमारे सामने कोरोना वायरस के mutants को भी पहचानने और उनके प्रभावों के आकलन का भी प्रश्न है। आपके राज्यों में आपको वायरस के variant का पता चलता रहे, इसके लिए भी जीनोम सैंपल भी टेस्टिंग के लिए भेजा जाना उतना ही अहम है।

साथियों,

वैक्सीन अभियान को लेकर कई साथियों ने अपनी बात रखी। निश्चित तौर पर इस लड़ाई में वैक्सीन अब एक साल के बाद हमारे हाथ में एक हथियार आया है, ये प्रभावी हथियार है। देश में वैक्सीनेशन की गति लगातार बढ़ रही है। हम एक दिन में 30 लाख लोगों को वैक्सीनेट करने के आंकड़े को भी एक बार तो पार कर चुके हैं। लेकिन इसके साथ ही हमें वैक्सीन doses waste होने की समस्या को बहुत गंभीरता से लेना चाहिए। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 10 प्रतिशत से ज्यादा वैक्सीन वेस्टेज है। यूपी में भी वैक्सीन वेस्टेज करीब-करीब वैसा ही है। वैक्सीन क्यों waste हो रही है इसकी भी राज्यों में समीक्षा होनी चाहिए और मैं मानता हूं हर रोज शाम को इसके मॉनिटरिंग की व्‍यवस्‍था रहनी चाहिए और हमारे सिस्‍टम को pro-active लोगों को contact करके एक साथ इतने लोग मौजूद रहें ताकि वैक्‍सीन wastage न जाए, इसकी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए। क्‍योंकि एक प्रकार से जितना percentage wastage होता है, हम किसी के अधिकार को बर्बाद कर रहे हैं। हमें किसी के अधिकार को बर्बाद करने का हक नहीं है।

स्थानीय स्तर पर प्लानिंग और गवर्नेंस की जो भी कमियां हैं, उन्हें तुरंत सुधारा जाना चाहिए। वैक्सीन वेस्टेज जितनी रुकेगी, और मैं तो चाहूंगा राज्‍यों को तो जीरो वेस्‍टेज के टारगेट से काम शुरू करना चाहिए...हमारे यहां वेस्‍टेज नहीं होने देंगे। एक बार कोशिश करेंगे तो improvement जरूर होगा। उतने ही ज्यादा Health workers, frontline workers, और दूसरे eligible लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ पहुंचाने के हमारे प्रयास सफल होंगे। मुझे विश्वास है कि हमारे इन सामूहिक प्रयासों और रणनीतियों का असर जल्द ही हमें दिखाई देगा और उसका परिणाम भी नजर आएगा।

अंत में मैं कुछ बिंदु फिर एक बार दोहराना चाहता हूँ, ताकि हम सभी इन विषयों पर ध्यान देते हुए आगे बढें। एक मंत्र जो हमें लगातार सबको कहना होगा- ‘’दवाई भी और कड़ाई भी।‘’ देखिए दवाई मतलब बीमारी चली गई है ऐसा नहीं। मान लीजिए किसी को जुकाम हुआ। उसने दवाई ले ली, तो इसका मतलब ये नहीं है कि उसको ठंडी जगह पर बिना सुरक्षा के ऊनी कपड़े पहने बिना वो चला जाए, बारिश में कहीं भीगने के लिए चला जाए। भई ठीक है, तुमने दवाई ली है लेकिन तुम्‍हें बाकी भी संभालना तो पड़ेगा ही पड़ेगा। ये हेल्थ का नियम है जी, ये कोई इस बीमारी के लिए  नहीं है, ये हर बीमारी के लिए है जी। अगर हमें टायफायड हुआ है...दवाई हो गई सब हो गया फिर भी डॉक्‍टर कहते हैं कि इन-इन चीजों को नहीं खाना। ये वैसा ही है। और इसलिए मैं समझता हूं इतनी सामान्‍य बात लोगों को समझानी चाहिए। और इसलिए ‘’दवाई भी और कड़ाई भी,’’ इस विष्‍य में हम बार-बार लोगों को आग्रह करें।

दूसरा, जो विषय मैंने कहा- RT-PCR टेस्ट्स को स्केल अप करना बहुत आवश्यक है, ताकि नए cases की पहचान तुरंत हो सके। स्थानीय प्रशासन को माइक्रो कन्टेनमेंट zones बनाने की दिशा में हमें आग्रह करना चाहिए। वो वहीं पर काम तेजी से करें, हम बहुत तेजी से रोक पाएंगे ताकि संक्रमण का दायरा फ़ैलने से रोकने में वो मदद करेगा। वैक्सीन लगाने वाले केन्द्रों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है, वो प्राइवेट हो, सरकारी हो, जैसा आपने मैप देखा होगा, वो आपके लिए भी राज्‍यवार भी बनाया। वो शुरू में जो ग्रीन डॉट वाला बताया था। और देखने से ही पता चलता है बहुत सारे इलाके हैं कि जहां light green लग रहा है, मतलब कि हमारे वैक्‍सीनेशन सेंटर उतने नहीं हैं या तो एक्टिव नहीं हैं। देखिए टेक्‍नोलॉजी हमारी बहुत मदद कर रही है। हम बहुत आसानी से day-to-day चीजों को organize कर सकते हैं। इसका हमें फायदा तो लेना है लेकिन उसके आधार पर हमें improvement करना है। हमारे जितने सेंटर्स pro-active होंगे, मिशन-मोड में काम करेंगे, वेस्‍टेज भी कम होगा, संख्‍या भी बढ़ेगी और एक विश्‍वास तुरंत बढ़ेगा। मैं चाहता हूं कि इसको बल दिया जाए।  

साथ ही, एक बात हमें ध्‍यान रखनी होगी क्‍योंकि ये वैक्‍सीन का निरंतर प्रॉडक्‍शन हो रहा है और जितना जल्‍दी हम इससे बाहर निकलें हमें निकलना है। Otherwise ये एक साल, दो साल, तीन साल तक खिंचता चला जाएगा। एक मुद्दा है वैक्सीन की एक्सपायरी date. हमें ध्‍यान रखना चाहिए कि जो पहले आया है उसका पहले उपयोग हो; जो बाद में आया है उसका बाद में उपयोग हो। अगर जो बाद में आया हुआ हम पहले उपयोग कर लेंगे तो फिर एक्‍सपायरी डेट और वेस्‍टेज की स्थिति बन जाएगी। और इसलिए मुझे लगता है कि avoidable wastage से तो हमें बचना ही चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि ये लॉट हमारे पास जो है इसकी एक्‍सपायरी डेट ये है, हम सबसे पहले इसका उपयोग कर लें। ये बहुत जरूरी है। और इन सभी बातों के साथ, इस संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए जो मूलभूत क़दम हैं, जैसा मैं कहता हूं ‘’दवाई भी और कड़ाई भी।‘’ मास्क पहनना है, दो गज की दूरी बनाए रखना है, साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखना है, personal हाइजीन हो या सोशल हाइजीन, पूरी तरह उसको बल देना पड़ेगा। ऐसे कई कदम जो पिछले एक साल से हम करते आए हैं फिर से एक बार उनको बल देने की जरूरत है। फिर से एक बार आग्रह करने की जरूरत है, उसमें हमें कड़ाई करनी पड़े तो करनी चाहिए। जैसे हमारे कैप्‍टन साहब कह रहे थे कि हम कल से बड़ा कड़ाई करने का मूवमेंट चला रहे हैं, अच्‍छी बात है। मुझे लगता है कि हम सबको इस विषय में हिम्‍मत के साथ करना पड़ेगा।

मुझे विश्‍वास है कि इन विषयों पर लोगों की जागरूकता बनाए रखने में हमको सफलता मिलेगी। मैं फिर एक बार आपके सुझावों के लिए धन्‍यवाद करता हूं। और भी जो सुझाव हैं आप जरूर भेजिए। जो हॉस्पिटल के विषय में जो आज चर्चा निकली है, आप दो-चार घंटे में ही सारी जानकारी दे दीजिए ताकि मैं शाम को 7-8 बजे के आसपास मेरे डिपार्टमेंट के लोगों के साथ रिव्‍यू करके इसमें से अगर कोई bottleneck है तो उसको दूर करने के लिए कोई आवश्‍यक निर्णय करने होंगे तो हेल्‍थ मिनिस्‍ट्री तुरंत कर लेगी और मैं भी उस पर ध्‍यान दूंगा। लेकिन मैं कहता हूं कि हम अब तक जो लड़ाई जीतते आए हैं, हम सबका सहयोग है, एक-एक हमारे कोरोना वॉरियर का सहयोग है उसके कारण हुआ है, जनता-जनार्दन ने भी बहुत cooperate किया है जी। हमें जनता से जूझना नहीं पड़ा है। हम जो भी बात लेते गए जनता ने विश्‍वास किया है, जनता ने साथ दिया है और भारत विजयी हो रहा है 130 करोड़ देशवासियों की जागरूकता के कारण, 130 करोड़ देशवासियों के सहयोग के कारण, 130 करोड़ देशवासियों के co-operation के कारण। हम  जितना जनता-जनार्दन को इस विषय पर फिर से जोड़ पाएं, फिर से विषय को बताएंगे, मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि जो अभी बदलाव नजर आ रहा है हम उस बदलाव को फिर से एक बार रोक पाएंगे, फिर से हम नीचे की तरफ ले जाएंगे। ऐसा मेरा पक्‍का विश्‍वास है। आप सबने बहुत मेहनत की है, आपके पास इसकी expertise team बन चुकी है। थोड़ा daily एक बार-दो बार पूछना शुरू कर दीजिए, सप्‍ताह में एक-दो बार मीटिंग लेना शुरू कर दीजिए, चीजें अपने-आप गति पकड़ जाएंगी।

मैं फिर एक बार- बहुत शॉर्ट नोटिस में आप सबको आज की मीटिंग मैंने ऑर्गेनाइज की, लेकिन फिर भी आपने समय निकाला और बहुत विस्‍तार से अपनी सारी जानकारियां दी, मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

बहुत बहुत धन्यवाद जी!

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Source: PIB

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