मध्यप्रदेश : राजनीति में उलझ गई लोगों की अपने घर की आस, प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य घटा

मध्यप्रदेश : राजनीति में उलझ गई लोगों की अपने घर की आस, प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य घटा


NDTV News:- भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार ने इस साल प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अपने कोटे के लगभग 25 फीसदी मकान कम कर दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक देश में पहली बार किसी राज्य ने लक्ष्य को कम किया है. वहीं राज्य सरकार का कहना है कि बजट की कमी और राजनीति की वजह से उसे ऐसा करना पड़ा. राज्य सरकार ने इस साल लक्ष्य के कुल 8.32 लाख घरों में से 2.32 लाख को छोड़ दिया है. ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री आवास में प्रावधान के मुताबिक तो बहुत देने का दावा किया है लेकिन जो राज्यांश देना चाहिए वो नहीं दे रहे हैं. इससे सिर्फ मध्यप्रदेश में नहीं पूरे देश में दिक्कत हो रही है, जहां 40 परसेंट रेशियो है, राज्य सरकार को उसे पूरा करने में दिक्कत हो रही है. फिर भी ज्यादा से ज्यादा जो आवास हम बनाने की कोशिश कर रहे हैं. मोदीजी राजनीति कर रहे हैं इसमें, जो नहीं होना चाहिए.
        
आवास योजना का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर ग्रामीण भारतीय परिवार के पास 2022 तक बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का घर हो जिसके लिए कुल 2.95 करोड़ घर बनाने की उम्मीद है. इस वित्तीय वर्ष के लिए देशव्यापी लक्ष्य 60 लाख घर हैं.

बीजेपी कह रही है कि सरकार अपनी नाकामी का ठीकरा केंद्र पर फोड़ रही है. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि मध्यप्रदेश में सरकार राजनीतिक दुर्भावना से इस योजना को देख रही है. 2,37,000 के आसपास आवास का लक्ष्य छोड़ दिया है. यह अन्यापूर्ण है, उन गरीबों के प्रति जो आस से इस योजना को देख रहे हैं.

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत हर लाभार्थी को पक्का मकान बनाने के लिए 1,20,000 रुपये दिए जाते हैं. आदिवासी और पिछड़े जिलों के लिए यह रकम 1,30,000 रुपये है. केंद्र इसका 60 फीसद जबकि राज्य 40 प्रतिशत देता है. वैसे पिछले तीन सालों में राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक उसने ग्रामीण इलाकों में योजना के तहत 13 लाख घर बनाए हैं, जो देश में दूसरे नंबर पर है.

मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद केंद्र से मिलने वाले कई फंड देरी से आए हैं. उनमें कटौती भी हुई है. राज्य सरकार को लगता है कि उसके साथ राजनीति हो रही है. वहीं केंद्र का कहना है कि राज्य तय मानकों, नियमों के मुताबिक काम नहीं कर रहे. वजह चाहे जो हो, इसमें आम आदमी ही पिस रहा है.

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स्रोत: NDTV News

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