रेलवे में बड़ा बदलाव, अब मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों से हटेंगे स्लीपर

रेलवे में बड़ा बदलाव, अब मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों से हटेंगे स्लीपर


रेलवे मंत्रालय ने रेलवे में बहुत बड़ा बदलाव करने जा रही है. उन्होंने कहा कि अभी रेलवे डिमांड और सप्लाई के नियम पर काम कर रही है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए लम्बी दुरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में से स्लीपर के कोच को समाप्त करने जा रही है. 

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News24: नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बाद रेल यात्रा का अंदाज पूरी तरह बदल गया है, रेलवे जानती है इस समय नए प्रयोग करने बेहद जरूरी है, क्योंकि पिछले कुछ समय से रेलवे डिमांड एंड सप्लाई के फार्मूले पर काम कर रही है। इसी दिशा में रेलवे एक और बड़ा कदम उठाते हुए ये तय किया है कि लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों से स्लीपर कोच पूरी तरह खत्म कर दिए जाएंगे। यानी इन ट्रेंनों में सिर्फ एसी बोगियां रहेंगी। आने वाले दिनों में          केवल पैसेंजर और धीमी गति की ट्रेनों में ही नजर आएंगे। हालांकि अभी ये सभी ट्रेनों में एक साथ नही किया जाएगा।

इस समय अधिकतर मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की अधिकतम स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटा है। राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी ट्रेनों 120 किलोमीटर प्रतिघंटे तक की स्पीड से दौड़ती हैं। इन ट्रेनों के रैक 130 किलोमीटर प्रति घंटे तक की स्पीड से दौड़ने के लिए फिट हैं।

ट्रेनों में लगने वाले नए एसी कोच का प्रोटोटाइप कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्ट्री में तैयार किया जा रहा है और अगले कुछ सप्ताह में तैयार हो सकता है। स्लीपर कोच के 72 सीटों के मुकाबले इन एसी कोच में 83 सीटें होगी। हालांकि, साइड अपर और साइड लोअर के बीच मिडल बर्थ नहीं होगा। इन कोचों से इलेक्ट्रिकल यूनिट और कंबल, बेड शीट्स आदि रखने वाले स्थान को हटाया जाएगा। इन कोचों से इलेक्ट्रिकल यूनिट और कंबल, बेड शीट्स आदि रखने वाले स्थान को हटाया जाएगा।

रेलवे के मुताबिक स्लीपर कोच के स्थान पर एसी कोच लगाने का रेलवे का यह प्लान स्वर्णिम चतुर्भुज योजना का हिस्सा है। इसके तहत देश में चल रहीं करीब 1900 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की गति सन् 2023 तक बढ़ाकर लगभग 130 किमी प्रति घंटा कर दी जाएगी। इसके बाद सन् 2025 तक इन ट्रेनों की गति 160 किमी प्रति घंटे की जाएगी। यानी जब मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटे या उससे अधिक की रफ्तार से चलने लगती हैं, तो नॉन—एसी कोच हवा और धूल की वजह से तकनीकी और अन्य समस्याए पैदा करेंगे। इसलिए धीरे—धीरे लगभग 1,900 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में सभी नॉन—एसी कोचों को समाप्त कर दिया जाएगा।

Source: News24

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