भूजल की समस्या को दूर करने के लिए शुरू हो रही है "अटल भूजल योजना"
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भूजल के स्तर में गिरावट को देखते हुए एक प्रभावी योजना "अटल भूजल योजना" को शुरू करने जा रही है. क्योंकि उत्तर प्रदेश के 821 विकास खण्डों में 572 ऐसे विकास खंड हैं जहाँ भूजल के स्तर में गिरावट दर्ज की गई है. इसलिए पीने योग्य जल घट न जाए इसके लिए भूजल समस्या को दूर करने और जल का संरक्षण करने के लिए "अटल भूजल योजना" को शुरू किया जा रहा है. इसके तहत ग्राम पंचायत व विकास खंडवार प्लान बनाकर भूजल संरक्षण का मेगा अभियान चलाया जाएगा.
नवभारत टाइम्स: लखनऊ: पिछले 10 वर्षों में उत्तर प्रदेश के 821 विकास खंडों में 572 ऐसे हैं, जहां भूजल के स्तर में गिरावट देखने को मिली है। लखनऊ भी भूजल के अतिदोहित श्रेणी के शहरों में शामिल है। भूजल के गिरने की चिंताजनक स्थिति को देखते हुए योगी सरकार अटल भूजल योजना को पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत ग्राम पंचायत व विकास खंडवार प्लान बनाकर भूजल संरक्षण का मेगा अभियान चलाया जाएगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 25 दिसंबर को यूपी गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में भूगर्भ जल के मानकों पर क्रिटिकल हो चुके क्षेत्रों पर केंद्रित अटल भूजल योजना शुरू की थी। योजना का लक्ष्य भूजल का स्तर सुधारना, लोगों को इसके लिए जागरूक करना, भूजल का दुरुपयोग रोकना और उपयोग को संतुलित करना है। इसमें प्रदेश के 10 जिलों के 27 ब्लॉक शामिल थे। योगी सरकार ने योजना को पूरे प्रदेश में लागू करने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार सीएम योगी ने इस पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। जल्द ही कैबिनेट में लाकर इसे औपचारिक रूप दिया जाएगा।
केंद्र ने दस जिलों में योजना लागू की थी। सीएम ने इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू करने का निर्देश दिया है। विभाग इसकी कार्ययोजना तैयार कर रहा है। जल्द ही सीएम की सहमति के बाद यह योजना पूरे प्रदेश में लागू कर दी जाएगी।डॉ महेंद्र सिंह, जल शक्ति मंत्री
हालात चिंताजनक, इसलिए उठाने पड़े कदम
शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि भूजल का दोहन कई शहरों में खतरनाक स्थिति में हैं। लखनऊ, अलीगढ़, मुरादाबाद, गाजियाबाद, मेरठ, बरेली, वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, आगरा जैसे शहर अति दोहित श्रेणी में है। लखनऊ में मानक का 239% भूगर्भ जल निकाला जा रहा है। पिछले 10 सालों में भूगर्भ जल के गिरने का ट्रेंड भी चिंताजनक है। 280 विकास खंड ऐसे हैं जहां हर साल 20 से 60 सेंटीमीटर तक भूजल नीचे की ओर खिसक रहा है। इसलिए येाजना का विस्तार प्रदेश के बचे 794 विकास खंडों में किया जाएगा।
ग्राम पंचायत व विकास खंड के स्तर पर भूगर्भ जल का सिक्यॉरिटी प्लान बनेगा। इसमें भूजल व सतही जल की उपलब्धता व स्रोतों का अध्ययन होगा। वैज्ञानिक संस्थाओं को जिले स्तर पर पार्टनर के तौर पर जोड़ा जाएगा। योजना के तहत पहले साल पहले साल वॉटर सिक्यॉरिटी प्लॉन बनाया जाएगा। दूसरे साल 75 व तीसरे साल चौथे अति दोहित ब्लॉक योजना के तहत लिए जाएंगे। चौथे साल 137 सेमी क्रिटिकल व पांचवे साल बचे 537 सुरक्षित ब्लॉक योजना से जोड़े जाएंगे।
विभिन्न विभागों व जनता का भी लेंगे साथ
योजना की जो रूपरेखा तय की गई है, उसके अनुसार शासन स्तर पर मुख्य सचिव व जिले के स्तर पर डीएम की कमिटी मॉनिटरिंग करेंगी। हर जिले में भूगर्भ जल विभाग जिला प्रॉजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित करेगा। जो विकास खंडों का चयन करेगा व लक्ष्य तय कर मॉनिटरिंग करेगा। योजना में विभिन्न विभागों व जन सामान्य का सहयोग लेकर इसे जनांदोलन का रूप देने का प्रयास होगा।
अभियान के तहत तालाबों, चैकडेम, नहरों सहित भूजल व सतही जल के सभी स्त्रोतों को संरक्षित किया जाएगा। कम जल खपत वाली फसल को बढ़ावा दिया जाएगा। शहरों में आवास व शहरी नियोजन विभाग की जिम्मेदारी होगी कि वह रूफटॉप रेनवॉटर हर्वेस्टिंग को बढ़ावा दे। प्रदेश में भूजल के समग्र डाटा बेस का विकास किया जाएगा। भूजल व संबंधित आंकड़ों का एकत्रीकरण, भूजल मैपिंग होगी। सामाजिक व स्थानीय संगठनों की भूमिका तय की जाएगी। स्कूलों, कॉलेजों, पंचायतों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों व भूजल चेतना से जोड़ा जाएगा।
स्रोत: नवभारत टाइम्स
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