नयी एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना : उत्पन्न समस्या, सुविधाएं और प्रोत्साहन

नयी एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना : उत्पन्न समस्या, सुविधाएं और प्रोत्साहन


राज्यसभा में वस्त्र मंत्रालय के समक्ष नयी एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना की शुरुआत पर हो रही पर्यावरणीय समस्याओं पर जवाब दिया और इस योजना की क्या सुविधाएं हैं और इससे क्या प्रोत्साहन मिलती है, इस पर जवाब देते हुए उन्होंने इन सभी सवालों का जवाब दिया.

राज्यसभा में पूछे गए  तत्संबंधी प्रश्न और उनके उत्तर: -

भारत सरकार
वस्त्र मंत्रालय
राज्य सभा
तारांकित प्रश्न  संख्या -118
11 फरवरी 2021 को जवाब दिया

नयी एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना (आइपीडीएस) शुरू किया जाना

*118 श्री टी जी वेंकटेश
क्या वस्त्र मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि:
(क) क्या सरकार ने वस्त्र प्रसंस्करण इकाइयों को पेश आ रही पर्यावरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करते हुए चार से छः ब्राउनफील्ड परियोजनाओं और तीन से पाँच ग्रीनफील्ड परियोजनाओं को शुरू करने के लिए नयी एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना (आईपीडीएस) शुरु किये जाने का अनुमोदन दिया है;
(ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है; और
(ग) इस योजना के अंतर्गत परियोजनाओं को क्या-क्या सुविधाएं और प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं?

उत्तर
वस्त्र मंत्री
(श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी)

(क) से  (ग) : एक विवरण सभा पटल पर रख दिया गया है। 

नयी एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना (आईपीडीएस) को शुरू किये जाने के सम्बन्ध में श्री टी०जी० वेंकटेश द्वारा दिनांक 11/02/2021 को पूछे जाने वाले राज्यसभा तारांकित प्रश्न  संख्या *118 के भाग  (क) से (ग) के उत्तर में उल्लिखित विवरण

(क) तथा (ख): अपेक्षित  पर्यावरणीय मानकों को पूरा करने के लिए वस्त्र उद्योग को  सुविधा प्रदान करने तथा विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में   नए प्रसंस्करण पार्कों  के साथ-साथ मौजूदा प्रसंस्करण क्लस्टरों में  नए सामान्य अपशिष्ट शोधन संयंत्रों (सीईटीपी)/ सीईपीटी के उन्नयन में सहयोग करने के लिए सरकार ने दिनांक 01.04.2017 से 31.03.2020 तक तीन वर्ष की अवधि हेतु मौजूदा योजना में बदलाव के साथ एकीकृत प्रसंस्करण विकास योजना (आईपीडीएस) को जारी रखने को अनुमोदन दिया है। इस योजना को दिनांक 31.03.2021 तक और बढ़ा दिया गया है। इस योजना का मुख्य उद्येश्य पर्यावरण अनुकूल प्रसंस्करण मानकों तथा प्रोद्योगिकी का प्रयोग करते हुए वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनने में भारतीय वस्त्र उद्योग को सहयोग करना है। यह योजना वस्त्र इकाइयों को आवश्यक पर्यावरण मानकों को पूरा करने में सहयोग करेगी। आइपीडीएस विशेषतया जल तथा व्यर्थ जल प्रबंधन क्षेत्र में नए प्रसंस्करण पार्कों के साथ-साथ मौजूदा प्रसंस्करण क्लस्टरों में नए सीईपीटी को सहयोग देने और प्रसंस्करण क्षेत्र में और स्वस्छ प्रौद्योगिकियों हेतु अनुसन्धान तथा विकास को बढ़ावा देने में भी सहयोग देगी। आइपीडीएस का उद्येश्य न केवल चल रही स्वीकृत परियोजनाओं को पूरा करना है, बल्कि वस्त्र क्लस्टरों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नयी परियोजनाओं को अनुमोदित और स्वीकृत करना भी है

(ग): योजना के तहत पात्र परियोजनाओं के लिए सुविधाओं और प्रोत्साहनों का विवरण निम्नलिखित है: -

समूह क: जल शोधन तथा अपशिष्ट शोधन  संयंत्र तथा प्रौद्योगिकी ( समुद्री, नदी  सम्बन्धी तथा जेडएलडी प्रणाली सहित)
समूह ख: नवीकरणीय तथा स्वच्छ उर्जा सहित कैप्टिव विद्युत् उत्पादन संयंत्र जैसी सामान्य अवसंरचना
समूह ग: परिक्षण प्रयोगशालाओं तथा आरएंडडी केन्द्रों जैसी सामान्य सुविधाएं

भारत सरकार का अनुदान, कैप्टिव विद्युत् उत्पाद संयंत्र सहित केवल समूह क व ख के संघटकों के लिए जेएलडी व मशीन डिस्चार्ज के लिए, परियोजना लागत का 50% की सीमा के भीतर अधिकतम 75 करोड़ रूपये तथा रिवराइन और पारंपरिक शोधन के लिए 10 करोड़ रूपये जैसा भी मामले हो, के लिए अनुमेय है। एसपीवी भारत सरकार की अन्य आरएंडडी योजनाओं के साथ मिलकर समूह ग घटक हेतू सहायता प्राप्त कर सकता है। भारत सरकार का अनुदान भूमि की खरीद हेतु प्रयोग नहीं किया जाएगा। एसपीवी द्वारा भूमि की खरीद / व्यवस्था की जाएगी। भूमि की लागत कुल परियोजना लागत का भाग नहीं होगी। यह योजना प्रौद्योगिकी उन्नयन तथा मौजूदा वस्त्र क्लस्टरों में उपरोक्त सुविधाओं की क्षमता वृद्धि हेतु भी लागू होगी।

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Source: Rajyasabha

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